रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का दो दिवसीय भारत दौरा आज से
रणनीतिक साझेदारी के 25 वर्ष पूरे होने की चमक

नई दिल्ली (जनवार्ता)। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन गुरुवार शाम करीब साढ़े छह बजे दो दिवसीय भारत यात्रा पर नई दिल्ली पहुंच रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर आ रही यह यात्रा भारत-रूस विशेष एवं विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी के 25 वर्ष पूरे होने के मौके पर हो रही है। यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद पुतिन की यह पहली भारत यात्रा है और यह 23वां भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन होगा।
पुतिन का विशेष विमान ‘फ्लाइंग क्रेमलिन’ शाम 6:35 बजे इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरेगा। हवाई अड्डे से सीधे वे ITC मौर्या होटल जाएंगे और उसके तुरंत बाद शाम सात बजे प्रधानमंत्री मोदी के साथ 7 लोक कल्याण मार्ग पर निजी डिनर करेंगे। इस अनौपचारिक मुलाकात में दोनों नेता यूक्रेन शांति प्रयासों, रूस से सस्ते तेल की आपूर्ति और अमेरिकी दबाव जैसे मुद्दों पर खुलकर बात करेंगे।
कल सुबह नौ बजे राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू उन्हें त्रि-सेवा गार्ड ऑफ ऑनर देंगी। इसके बाद पुतिन राजघाट पहुंचकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। सुबह साढ़े ग्यारह बजे से हैदराबाद हाउस में प्रधानमंत्री मोदी के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता शुरू होगी। इस दौरान रक्षा, ऊर्जा, व्यापार और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर गहन चर्चा होगी।
मुख्य फोकस रक्षा सहयोग पर रहेगा। रूस ने भारत को Su-57 स्टेल्थ फाइटर जेट की तकनीक हस्तांतरण और संयुक्त उत्पादन की पेशकश की है। अतिरिक्त S-400 स्क्वाड्रन, ब्रह्मोस मिसाइल का अपग्रेड वर्जन और रक्षा लॉजिस्टिक्स सपोर्ट एग्रीमेंट पर भी हस्ताक्षर होने की संभावना है। ऊर्जा क्षेत्र में अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद रूस से कच्चे तेल की आपूर्ति बढ़ाने और 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 100 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य है।
दोपहर डेढ़ बजे दोनों नेता संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करेंगे। उसके बाद शाम सवा तीन बजे भारत मंडपम में भारत-रूस बिजनेस फोरम का उद्घाटन होगा जिसमें निवेश, मैन्युफैक्चरिंग और आर्कटिक सहयोग पर आठ बड़े समझौते होने की उम्मीद है।
दिल्ली में सुरक्षा के अभूतपूर्व इंतजाम किए गए हैं। मल्टी-लेयर सिक्योरिटी, ड्रोन नो-फ्लाई जोन और रूस-भारत की संयुक्त खुफिया एजेंसियों की निगरानी रहेगी। पुतिन के साथ रक्षा मंत्री आंद्रे बेलौसोव सहित सात कैबिनेट मंत्री और रोसोबोरोनएक्सपोर्ट के वरिष्ठ अधिकारी आएंगे।
महज तीस घंटे की यह यात्रा भले ही छोटी हो, लेकिन इसके परिणाम दक्षिण एशिया से लेकर आर्कटिक तक भू-राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं। अमेरिका और यूरोपीय देशों के दबाव के बावजूद भारत ने अपनी स्वतंत्र विदेश नीति का स्पष्ट संदेश दिया है कि वह रूस के साथ पुराना और भरोसेमंद रिश्ता बनाए रखेगा।
पुतिन की विदाई कल रात ग्यारह बजे होगी, लेकिन इस यात्रा का असर आने वाले कई वर्षों तक दिखाई देगा।

