करौली : गोपीनाथ जी के मंदिर में दिन में होता है श्रीकृष्ण जन्मोत्सव

करौली : गोपीनाथ जी के मंदिर में दिन में होता है श्रीकृष्ण जन्मोत्सव

राजस्थान (जनवार्ता)।राजस्थान के करौली में स्थित प्राचीन गोपीनाथ जी मंदिर में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की परंपरा देश के अन्य मंदिरों से बिल्कुल अलग है। जहां पूरे देश में जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रात 12 बजे बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है, वहीं इस मंदिर में लड्डूगोपाल का जन्म दिन के 12 बजे मनाया जाता है।

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जन्माष्टमी के पावन अवसर पर सोमवार सुबह से ही मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। भगवान गोपीनाथ जी के भव्य श्रृंगार के साथ दिनभर भजन‐कीर्तन तथा पूजन-अर्चन का दौर चलता रहा। दोपहर 12 बजे प्रभु जन्म का विशेष महाआरती एवं श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया। आरती के दौरान “नन्द के आनंद भयो” सहित भक्तिमय गीतों से संपूर्ण परिसर गूंज उठा और श्रद्धालुओं ने दर्शन कर व्रत खोला।

मंदिर के पुजारी अजय मुखर्जी ने बताया कि यह परंपरा पिछले कई सौ वर्षों से निभाई जा रही है। बुजुर्गों एवं बच्चों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए जन्मोत्सव दिन के समय रखा गया ताकि सभी भक्त आसानी से शामिल होकर दर्शन लाभ प्राप्त कर सकें। उन्होंने बताया कि वे पिछले 40 वर्षों से इस परंपरा को देख रहे हैं, जिसे उनके पूर्वजों ने भी इसी विधि से निभाया है।

करीब 150 वर्ष से अधिक पुराना यह गोपीनाथ जी मंदिर राजाशाही काल का बताया जाता है। मंदिर के गर्भगृह में तीन विग्रह स्थापित हैं – बीच में ठाकुर गोपीनाथ जी, दाहिनी ओर राधा जी तथा बाईं ओर ललिता जी विराजमान हैं। मान्यता है कि भगवान के वक्ष स्थल के दर्शन से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

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मंदिर में प्रतिदिन चार पहर की पूजा की जाती है। मंगला आरती के साथ भगवान को उठाया जाता है। दोपहर में राजभोग आरती, संध्या आरती तथा रात्रि में शयन आरती के बाद पट बंद किए जाते हैं। तीज-त्योहारों के अवसर पर विशेष प्रसाद के रूप में लड्डू और कचौड़ी का भोग लगाया जाता है।

श्रद्धालुओं ने बताया कि दिन में जन्मोत्सव होने के कारण वे बिना किसी परेशानी के पूरे परिवार के साथ भगवान के दर्शन कर सके। जन्माष्टमी के अवसर पर मंदिर परिसर को आकर्षक फूलों और रोशनी से सजाया गया था।

Shiv murti

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