UP पंचायत चुनाव में सुधार की मांग तेज़, NOTA और प्रत्याशी का नाम बैलेट पर छापने को लेकर हाईकोर्ट में याचिका
लखनऊ (जनवार्ता) |उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों से पहले मतदान प्रक्रिया की पारदर्शिता और मतदाता सुविधा को लेकर हाईकोर्ट में एक महत्वपूर्ण जनहित याचिका दायर की गई है। लखनऊ पीठ में दाखिल इस याचिका में पंचायत चुनावों के बैलेट पेपर पर प्रत्याशी के नाम के साथ उनका चुनाव चिन्ह छापने और NOTA (नोटा) विकल्प शामिल करने की मांग की गई है।

यह याचिका मजिस्ट्रेट कोर्ट में कार्यरत पेशकार नरेश कुमार मौर्य ने अधिवक्ता देवी प्रसाद त्रिपाठी और देवीशंकर पांडेय के माध्यम से दाखिल की है। याचिकाकर्ता का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकतर मतदाता केवल चुनाव चिन्ह देखकर वोट डालते हैं, जिससे कई बार सही प्रत्याशी की पहचान स्पष्ट नहीं हो पाती। उनके अनुसार, बैलेट पेपर पर नाम जोडऩे से मतदान प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और सुगम होगी।
याचिका में यह भी कहा गया है कि पंचायत चुनावों में अभी केवल चुनाव चिन्ह ही छापा जाता है और प्रत्याशी का नाम गायब रहता है। इस स्थिति में मतदाता यह समझने में असमर्थ रहते हैं कि वे किस उम्मीदवार को वोट दे रहे हैं। याचिकाकर्ता का कहना है कि नाम और चिन्ह साथ छापने से मतदाताओं के सामने किसी तरह का भ्रम नहीं रहेगा।
इसी क्रम में पंचायत चुनावों में NOTA विकल्प जोड़ने की मांग भी की गई है। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि जब लोकसभा और विधानसभा चुनावों में NOTA उपलब्ध है, तो पंचायत चुनावों में इसे न देना मतदाताओं के अधिकारों के साथ असमानता होगी। चूंकि पंचायत चुनाव बैलेट पेपर से होते हैं, इसलिए NOTA लागू करने में किसी तकनीकी दिक्कत की संभावना भी नहीं है।
इस जनहित याचिका पर सुनवाई आज लखनऊ पीठ में निर्धारित है। मामला न्यायमूर्ति रंजन रॉय और न्यायमूर्ति इंद्रजीत शुक्ला की खंडपीठ के सामने सूचीबद्ध है, जबकि विस्तृत सुनवाई चीफ जस्टिस दिवाकर प्रसाद सिंह और न्यायमूर्ति बृजेश सिंह की बेंच करेगी।
वहीं, राज्य निर्वाचन आयोग ने याचिका में की गई मांगों का विरोध किया है। आयोग का कहना है कि पंचायत चुनावों के लिए लगभग 60 करोड़ बैलेट पेपर की आवश्यकता होती है और बड़ी संख्या में मतपत्र पहले ही छप चुके हैं। ऐसे में बैलेट पेपर में बदलाव करने से चुनाव कार्यक्रम प्रभावित हो सकता है। हालांकि, याचिकाकर्ता पक्ष का कहना है कि आयोग का दावा सही नहीं है, क्योंकि अभी सभी बैलेट पेपर छपे नहीं हैं। उनके अनुसार, तहसील स्तर पर लगभग 12.5 करोड़ और समूचे चुनाव के लिए करीब 55 से 60 करोड़ बैलेट पेपर की जरूरत पड़ती है।

