उत्तर प्रदेश : 16 आईपीएस अफसरों का तबादला
लखनऊ (जनवार्ता): उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने एक बार फिर पुलिस महकमे में बड़ा फेरबदल करते हुए 16 आईपीएस अधिकारियों को नई तैनाती दी है। इस सूची में 11 जिलों के पुलिस कप्तान भी शामिल हैं। प्रदेश में हाल के दिनों में अपराध नियंत्रण और पुलिस की कार्यशैली को लेकर उठे सवालों के बीच सरकार का यह कदम अहम माना जा रहा है।
सरकार ने सख्ती दिखाते हुए आज़मगढ़, कुशीनगर और देवरिया के पुलिस कप्तानों को उनके पद से हटा दिया है। इन जिलों में लगातार कानून-व्यवस्था की शिकायतें सामने आ रही थीं। आज़मगढ़ के एसएसपी हेमराज मीना, कुशीनगर के एसपी संतोष कुमार मिश्र और देवरिया के एसपी लवक्रांत वीर को डीजीपी मुख्यालय संबद्ध कर दिया गया है। इनकी जगह पर नए अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है।
नई तैनाती में जय प्रकाश सिंह को लखनऊ से उन्नाव भेजा गया है। संजय समर, जो अब तक अलीगढ़ के एसएसपी थे, उन्हें देवरिया का नया पुलिस कप्तान बनाया गया है। हरदोई के एसपी नीरज कुमार जादौन को अलीगढ़ की कमान सौंपी गई है, जबकि सोनभद्र के एसपी अशोक कुमार मीना को हरदोई भेजा गया है। सोनभद्र में अब अभिषेक वर्मा की नियुक्ति की गई है।
प्रतापगढ़ में दीपक भूकर को पुलिस कप्तान बनाया गया है और वहां से हटाकर डॉ. आलोक कुमार-II को आज़मगढ़ का नया एसएसपी नियुक्त किया गया है। कुशीनगर की जिम्मेदारी अब केशव कुमार संभालेंगे। अंबेडकरनगर में अभिजीत आर. शंकर और औरैया में अभिषेक भारती को नई तैनाती मिली है। प्रयागराज में मनीष कुमार शांडिल्य को डीसीपी बनाया गया है। इसके अलावा अलिन कुमार झा को बलिया से हटाकर एसपी रेलवे आगरा और सवेश कुमार मिश्र को सेनानायक 4वीं वाहिनी पीएसी प्रयागराज भेजा गया है।
इससे पहले बुधवार को ही 44 एडिशनल एसपी का तबादला किया गया था, जिनमें संभल के एएसपी अनुज चौधरी का नाम भी शामिल था। लगातार दो दिनों में हुए इन बड़े स्तर के फेरबदल से साफ है कि सरकार पुलिस प्रशासन पर पैनी नजर रखे हुए है।
पिछले कुछ महीनों से प्रदेश के विभिन्न जिलों में अपराध की घटनाओं को लेकर विपक्ष लगातार सरकार को घेर रहा था। खासकर पूर्वांचल के जिलों आज़मगढ़, कुशीनगर और देवरिया में हत्या, लूट और गैंगवार जैसी घटनाओं पर सवाल उठे थे। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कानून-व्यवस्था पर कोई ढिलाई न बरतने के निर्देश दिए हैं और यही कारण है कि लापरवाह अधिकारियों को तुरंत हटाकर नए चेहरों को जिम्मेदारी दी जा रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस फेरबदल से न सिर्फ जिलों में पुलिसिंग में तेजी आएगी, बल्कि यह संदेश भी जाएगा कि सरकार कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर कोई समझौता करने को तैयार नहीं है।