सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी की अदालत में ज्ञानवापि की सुनवाई को इनकार किया
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी की अदालत में ज्ञानवापी केस की चल रही सुनवाई को गलत बताने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह हाईकोर्ट जा सकता है। दरअसल याचिकाकर्ता के वकील की ओर से कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट ने 90 के दशक में तीन आदेश दिए थे, जिसमें यथास्थिति बनाए रखने को कहा था। इसे देखते हुए मामले में अब हो रही सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ है।
पिछले दिनों जिला कोर्ट ने पांच महिलाओं की ओर से देवी श्रृंगार गौरी की पूजा का अधिकार देने से संबंधित याचिका को सुनवाई के योग्य मानने का आदेश पारित किया था। इसके बाद अब फिर से सुनवाई शुरू हुई है।
उल्लेखनीय है कि देवी श्रृंगार गौरी की हर रोज पूजा का अधिकार के लिए हिंदू पक्ष की ओर से मांग की जा रही है। इसके अलावा मस्जिद परिसर के वजुखाने में मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग संबंधी मांग वाली याचिका पर सुनवाई जारी है। इन्हीं मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी प्रकरण में जिला कोर्ट ने मस्जिद पक्ष को आठ सप्ताह का समय नहीं दिया है। उनकी ओर से सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए दायर याचिका को खारिज कर दिया गया। वहीं ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराने के लिए मंदिर पक्ष की ओर से प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया है। कोर्ट में 16 प्रार्थना पत्र दायर किए गए हैं जो मुकदमे में पक्षकार बनने के लिए हैं। इनमें से सात खारिज कर दिए गए। अगली सुनवाई 29 सितंबर को होगी।
ज्ञानवापी परिसर की तीन मजारों पर चादर चढ़ाने, सालाना उर्स व अन्य धार्मिक आयोजन की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर अगली सुनवाई तीन अक्टूबर को होगी। सिविल जज फास्ट ट्रैक (सीनियर डिवीजन) महेंद्र नाथ पांडेय की अदालत में बुधवार को सुनवाई हुई। मुख्तार अहमद समेत चार लोगों की याचिका पर कोर्ट ने प्रतिवादी राज्य सरकार को पैरवी करने के लिए नोटिस भेजने की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए। साथ ही अगली तिथि तीन अक्टूबर तय कर दी।