तिराह घाटी : पश्तून लड़ाकों ने पाकिस्तानी सेना के 20 सैनिकों को घात लगाकर उतारा मौत के घाट, 15 लापता सैनिकों के शव बरामद

तिराह घाटी : पश्तून लड़ाकों ने पाकिस्तानी सेना के 20 सैनिकों को घात लगाकर उतारा मौत के घाट, 15 लापता सैनिकों के शव बरामद

इस्लामाबाद/पेशावर । खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की अशांत तिराह घाटी में पश्तून लड़ाकों ने पाकिस्तानी सेना के एक काफिले पर घात लगाकर हमला कर दिया, जिसमें कम से कम 20 पाकिस्तानी सैनिक शहीद हो गए। शुरुआती झड़प में 5 सैनिकों की मौत की खबर आई थी, जबकि 15 अन्य लापता बताए जा रहे थे। बाद में सुरक्षा बलों ने सर्च ऑपरेशन के दौरान उन 15 लापता सैनिकों के शव भी बरामद कर लिए। यह हमला क्षेत्र में बढ़ते उग्रवाद का एक और उदाहरण है, जहां तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) और लश्कर-ए-इस्लाम जैसे समूह सक्रिय हैं।

rajeshswari

घटना की जानकारी देते हुए पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता ने बताया कि हमला रविवार रात करीब 8 बजे तिराह घाटी के ऊपरी इलाके में हुआ, जब एक सैन्य काफिला रूट क्लीयरेंस पर था। लड़ाकों ने आरपीजी, आईईडी और भारी हथियारों से हमला बोला, जिसके जवाब में सेना ने काउंटर-फायरिंग की। “यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना है, लेकिन हमारी सेना आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई जारी रखेगी,” प्रवक्ता ने कहा। शुरुआती रिपोर्ट में 5 शहीदों और 15 लापता सैनिकों का जिक्र था, लेकिन मंगलवार को सर्च टीमों ने मलबे और जंगलों में छिपे शवों को बरामद कर लिया।

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-इस्लाम ने ली है, जो पश्तून-केंद्रित उग्रवादी समूह है और टीटीपी से जुड़ा हुआ माना जाता है। यह समूह तिराह घाटी को अपना गढ़ मानता है, जो अफगानिस्तान सीमा के करीब है। क्षेत्रीय विशेषज्ञों का कहना है कि 2021 में अफगान तालिबान की सत्ता आने के बाद से टीटीपी की गतिविधियां तेज हो गई हैं, और खैबर पख्तूनख्वा में 2025 में अब तक 250 से अधिक सैनिक शहीद हो चुके हैं।

इसे भी पढ़े   वाराणसी : महापौर ने फहराया तिरंगा

क्षेत्रीय संदर्भ और बढ़ती अस्थिरता:
तिराह घाटी, जो खैबर एजेंसी का हिस्सा है, लंबे समय से उग्रवाद का केंद्र रही है। यहां की दुर्गम पहाड़ियां और अफगानिस्तान से सटी सीमा लड़ाकों को छिपने का सुरक्षित ठिकाना प्रदान करती हैं। सितंबर 2025 में इसी घाटी में एक हवाई हमले में 30 नागरिक मारे गए थे, जिसे सेना ने “आतंकी हथियारों के विस्फोट” का परिणाम बताया था, लेकिन स्थानीय पश्तूनों ने इसे सेना का हमला करार दिया। जुलाई 2025 में भी पश्तून प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी में 7 नागरिक मारे गए थे। 

इस वर्ष खैबर पख्तूनख्वा में हमलों की संख्या में 70% की वृद्धि हुई है। सितंबर में ही दक्षिण वजीरिस्तान में टीटीपी के घात लगाकर हमले में 12 सैनिक शहीद हुए थे, जबकि नवंबर 2024 में बन्नू में 17 सैनिकों की हत्या कर उनके शवों को गधों पर लादकर ले जाने का वीडियो वायरल हो गया था। मानवाधिकार संगठन एचआरसीपी ने तिराह हमले पर निंदा करते हुए कहा, “सैन्य अभियानों में नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित होनी चाहिए।” 

प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा, “आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में कोई ढील नहीं बरती जाएगी।” सेना ने घाटी में अतिरिक्त टुकड़ियां तैनात कर दी हैं और ड्रोन निगरानी बढ़ा दी है। हालांकि, स्थानीय पश्तून नेता अब्दुल गनी अफरीदी ने सोशल मीडिया पर सवाल उठाया, “क्या ये सैन्य ऑपरेशन पश्तूनों को निशाना बना रहे हैं?” 

यह घटना पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों को उजागर करती है, जहां बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में अलगाववादी और उग्रवादी समूह सक्रिय हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अफगानिस्तान सरकार से अपील की जा रही है कि सीमा पार घुसपैठ रोकी जाए।

Shiv murti

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *