पुलिस कस्टडी में मारे गए युवक की पत्नी का गुस्सा:कहा…वैसी ही सजा उनको मिले
कानपुर। “पति थोड़ी देर में आने की बात कहकर घर से निकले थे,हमें नहीं पता था कि वो अब कभी वापस नहीं आएंगे। उन जालिम पुलिस वालों ने उन्हें पीट-पीटकर मार डाला। उनके बिना हमारी जिंदगी कैसे चलेगी? जैसे तड़प-तड़प कर मेरे पति की मौत हुई है, वैसी ही सजा उनको पीटने वालों को मिलनी चाहिए। मेरे पति की हत्या साजिश से की गई है। हमें कुछ नहीं चाहिए बस खून के बदले खून चाहिए।”
यह दर्द और गुस्सा उस महिला का है, जिसके पति को पुलिस वालों ने बर्बरता से पीट-पीटकर मार डाला। वो कभी अपने बच्चों की तरफ देखती है, तो कभी चीखते हुए बेहोश हो जाती है। पूरे परिवार का हाल कुछ इसी तरह का है। अब आपको उस गांव का गम और गुस्सा दिखाते हैं, जहां यह घटना हुई…।
सबसे पहले जानिए उस दिन क्या हुआ था?
कानपुर देहात के मैथा के रहने वाले सर्राफ चंद्रभान सिंह उर्फ राजू से 6 दिसंबर को 2 लाख कैश और जेवरात की लूट हुई। उन्होंने कानपुर के शिवली थाने में FIR दर्ज कराई। 4-5 लड़कों पर लूट का आरोप लगाया। पूछताछ के दौरान शिवली पुलिस ने राजू के पड़ोस में रहने वाले उनके भतीजे बलवंत सिंह को लूट के शक में 12 दिसंबर की शाम उठा लिया। इसके बाद रात में परिजनों को सूचना मिली की बलवंत की मौत हाे गई है।
परिजनों का आरोप है कि पुलिस वालों ने बलवंत को पीट-पीटकर मार डाला। मामले में 9 पुलिसवाले को सस्पेंड कर दिया। इनमें SOG टीम लीडर प्रशांत गौतम, उनके साथी महेश गुप्ता, मैथा चौकी इंचार्ज ज्ञान प्रकाश पांडेय, थानाध्यक्ष शिवली राजेश कुमार सिंह, रनिया थानाध्यक्ष शिवप्रकाश सिंह समेत अन्य पुलिस कर्मी हैं। इन सभी पुलिस कर्मियों के खिलाफ शिवली थाने में हत्या की FIR दर्ज की गई है। पुलिस वालों के साथ ही परिवार ने एक अज्ञात और जिला अस्पताल के ड्यूटी डॉक्टर को भी नामजद किया है।
पूरी घटना जानने के लिए भास्कर टीम कानपुर नगर से 32 किलोमीटर स्थित सरैया लालपुर गांव पहुंची। यहां गमजदा माहौल है। चारों तरफ रोने चीत्कारने की आवाज आ रही है। हाल यह था कि हमें किसी से बलवंत के घर का रास्ता नहीं पूछना पड़ा, जिसे देखो वह बलवंत के घर की ओर ही बढ़ता चला जा रहा था।
गांव को पुलिस ने छावनी में बदल दिया है। अधिकारियों का लगातार गांव में जमावड़ा लगा है। जन प्रतिनिधि भी परिवार वालों को सांत्वना देने पहुंच रहे थे। लेकिन इकलौते बेटे को खो चुकी मां, दो मासूम बच्चों को लिए बैठी पत्नी शालिनी को किन शब्दों में समझाकर सांत्वना दी जाए। यह किसी को समझ नहीं आ रहा। दोनों बच्चे मां की ओर देख रहे हैं। वह कभी मां को रोता देख रो देते हैं, तो कभी आने-जाने वालों को देखने लगते हैं। दरवाजे पर गाड़ी आती देख मासूम बाहर की तरफ भागती हैं। यह सब देख वहां मौके पर मौजूद हर एक व्यक्ति की आंखें नम हो जाती हैं।
बेटा अब पापा कभी नहीं आएंगे…
बलवंत सिंह पत्नी दो बच्चों और माता-पिता के साथ रह रहे थे। रनियां में उसकी चोकर की दुकान थी, जिसमें वह बिल्डिंग मैटेरियल का सामान भी रखते थे। पत्नी ने बताया, “ रोज की तरह सुबह पति खाना खाकर दुकान जाने के लिए निकल रहे थे। हमने कहा था कि आज मत जाओ कुछ सही नहीं लग रहा, तो बोले दुकान तक ही जा रहे हैं, जल्दी आ जाएंगे। क्या पता था कि अब कभी वापस नहीं आएंगे। अब यह समझ में नहीं आ रहा है कि इतना बड़ा जीवन कैसे चलेगा। तीन साल की काव्या और एक साल के यश की ओर देखते हुए कहती है कि ये बच्चे बार-बार पूछ रहे हैं कि पापा कब आएंगे अब मैं इन्हें क्या बताऊं कि अब वो कभी नहीं आएंगे।”
वह आगे कहती हैं, “हमारी तो दुनिया ही उजड़ गई। पांच साल पहले हमारी शादी हुई, सब कुछ बहुत खुशी-खुशी चल रहा था। उन जालिमों ने मेरे बच्चों के सिर से पिता का साया छीन लिया। ईश्वर उनको कभी माफ नहीं करेगा। उनको भी ऐसी ही सजा मिलनी चाहिए। इतना बताते-बताते शालिनी बेहोशी की हालत में चली जाती है। हालांकि, गांव की महिलाएं लगातार उसे संभालने की कोशिश कर रही हैं।”
बलवंत की मां बोली- कोई मेरे बेटे को लौटा दे
पास ही बैठी बलवंत की मां के आंसू सूख चुके हैं। वह हर आने वाले को उम्मीद के साथ देखती है और बस एक ही बात कहती है कि ‘कोई तो लौटा दो हमारे पूत को’ हमारे बेटे ने किसी का क्या बिगाड़ा था, जो उसे मार दिया। बेटा तो हमेशा सबका अच्छा करता था, हमसे कहता था कि मां हम तुम्हें और पिताजी को कभी कोई परेशानी नहीं होने देंगे। अब कौन रखेगा हमारा ध्यान, कौन पालेगा इन बच्चों को… कोई तो हमारे बेटे को वापस ले आओ।
पिता बोले- ऐसे किसी का बेटा न जाए
वहीं, बेटे की मौत के बाद पिता शून्य हो चुके हैं। घर की महिलाओं को रोता हुआ देखकर उन्हें समझ नहीं आ रहा कि उन्हें कैसे समझाएं। किसी के कुछ पूछने पर बस इतना ही कह पाते हैं कि बेटा हमें अकेला छोड़ दो, हमने अपना बेटा खो दिया है। किसी को सजा मिलने से हमारा बेटा तो नहीं मिल जाएगा, लेकिन अगर आरोपियों को सजा हुई तो शायद फिर किसी को अपना बेटा न खोना पड़े। पुलिस तो लोगों की रक्षा करने के लिए होती है, लेकिन यहां पुलिस ही मेरे बेटे की भक्षक बन गई। ऐसे पुलिस वालों पर कौन भरोसा करेगा।
पोस्टमॉर्टम में दिखाई दी पुलिस की बर्बरता
शव का पोस्टमॉर्टम परिजनों की मांग पर कानपुर देहात की जगह कानपुर नगर में मंगलवार रात को कराया गया। वीडियो ग्राफी के साथ 3 डॉक्टरों के पैनल ने शव का पोस्टमॉर्टम किया। शव को देखकर पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर भी सोच में पड़ गए। शरीर पर इतने चोट के निशान थे कि गिनना मुश्किल हो गया। शरीर पर बस 26 गंभीर चोटों को ही गिने गए ग। पिटाई से पूरा शरीर नीला पड़ गया था। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस बलवंत की दोनों कलाइयों में रस्सी से बांधकर पूछताछ कर रही थी। उसकी दोनों कलाइयों में रस्सी से बांधने से गंभीर घाव के निशान मिले हैं।
मौत की सूचना मिली
मृतक के जिस चाचा चंद्रभान ने बताया कि सोमवार को जब हमें पता चला कि हिरासत में लिए गए लोगों से पूछताछ के आधार पर पुलिस ने मेरे भतीजे को भी पकड़ा है। मैं थाने बताने गया कि लूट में मेरा भतीजा नहीं था। लेकिन वहां न तो मेरा भतीजा मिला न ही कोई अधिकारी। इसके बाद हम मैथा चौकी गए, लेकिन वहां पर भी हमें कोई नहीं मिला। फिर मुझे मेरे भाई ने बताया कि चौकी पर बलवंत को पुलिस ने बहुत मारा। उसका पता नहीं चल रहा है। इसके बाद हम शिवली थाने पहुंचे और भतीजे के बारे में जानकारी की कोशिश की, लेकिन कुछ पता नहीं चला। कुछ देर बाद पता चला कि भतीजे की अस्पताल में मौत हो गई है। भाई ने पुलिसकर्मियों को पिटाई करते देखा है।