वित्त मंत्री संसद में आज पेश करेंगी इकोनॉमिक सर्वे,महिलाओं और रोजगार पर होगा फोकस
नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज संसद में आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश करेंगी। आर्थिक सर्वेक्षण बजट से पहले का एक दस्तावेज होता है और इसमें पिछले वित्तीय वर्ष में इकोनॉमी की स्थिति का ब्योरा दिया जाता है। इसे आज दोपहर 12 बजे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में पेश करेंगी। आर्थिक सर्वेक्षण 1 फरवरी को पेश होने वाले केंद्रीय बजट से ठीक एक दिन पहले पेश किया जाता है। इसे लोकसभा में दोपहर 12 बजे और राज्यसभा में दोपहर 2 बजे पेश किया जाएगा। मुख्य आर्थिक सलाहकार वी। अनंत नागेश्वरन की निगरानी में आर्थिक मामलों के विभाग की तरफ से तैयार सर्वे रिपोर्ट के जरिये मौजूदा वित्तीय वर्ष का लेखा-जोखा पेश किया जाएगा।
रोजगार के आंकड़े पेश कर सकती है सरकार
इसके जरिये सरकार आने वाले दिनों की अपनी योजनाओं और प्राथमिकता के बारे में जानकारी दे सकती है। यह सरकार का रिपोर्ट कार्ड होगा और इसके जरिये सरकार देश की वित्तीय स्थिति से लेकर रोजगार के आंकड़े पेश कर सकती है। यह दस्तावेज केवल इकोनॉमी की मौजूदा हालत के बारे में ही नहीं बताता, बल्कि आने वाले वित्तीय वर्ष का अनुमान भी पेश करता है। यह आम बजट का रुख और उसकी दिशा का भी संकेत हो सकता है। बजट सत्र के पहले दिन राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद वित्त मंत्री आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश करेंगी।
रिपोर्ट में सरकार के कामों और उपलब्धियों को तीन हिस्सों में दिखाया जाता है। पहले हिस्से में कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों में किए गए कामों और योजनाओं पर खर्च का ब्यौरा होता है। दूसरे हिस्से में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में हुए कामों के बारे में बताया जाता है। तीसरा हिस्सा सर्विस सेक्टर का होता है, इसमें सूचना प्रौद्योगिकी से लेकर लॉजिस्टिक तक की सेवाएं शामिल होती हैं। आर्थिक सर्वेक्षण की प्रस्तुति के साथ ही संसद का बजट सत्र शुरू हो जाएगा और यह 4 अप्रैल को खत्म होगा। संसद में 14 फरवरी से कुछ दिनों का अवकाश रहेगा और फिर 10 मार्च से दोबारा कार्यवाही शुरू होगी।
आर्थिक सर्वेक्षण 1950-51 पेश किया गया
फाइनेंशिय ईयर 2024-25 की सर्वे रिपोर्ट में सरकार रोजगार से लेकर दूसरे कामों को भी अपने रिपोर्ट कार्ड के जरिये पेश कर सकती है। आने वाले समय में आर्थिक विकास दर के अनुमान, राजकोषीय घाटे की स्थिति और आधारभूत ढांचे से जुड़ी भविष्य की योजना की भी जानकारी इसमें शामिल हो सकती है। सबसे पहला आर्थिक सर्वेक्षण 1950-51 पेश किया गया, जो कि पहले बजट दस्तावेजों का ही हिस्सा हुआ करता था। 1960 के दशक में, इसे बजट दस्तावेजों से अलग कर दिया गया और यूनियन बजट से एक दिन पहले पेश किया जाने लगा। बजट पेश करने से पहले, प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक कैबिनेट बैठक होती है, जिसमें मंत्रियों को बजट के बारे में जानकारी दी जाती है और कैबिनेट की मंजूरी ली जाती है।
विशेष ध्यान दिया जाएगा
साल 2025 के यूनियन बजट और आर्थिक सर्वेक्षण दोनों का मुख्य विषय रोजगार सृजन होगा, जिसमें महिलाओं पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। 2024 के आर्थिक सर्वेक्षण में बेरोजगारी दर में कमी और अर्थव्यवस्था के लचीलेपन पर प्रकाश डाला गया था। सर्वेक्षण में कहा गया कि ‘भारत की वास्तविक जीडीपी वित्त वर्ष 24 में 8।2 प्रतिशत बढ़ी, जो लगातार तीसरे वर्ष 7 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि दर्ज करा रही है, जिसका कारण स्थिर खपत मांग और निवेश मांग में लगातार सुधार है।’
सूत्रों के अनुसार, सरकार को उम्मीद है कि पर्सनल टैक्स में वृद्धि से जीडीपी में और वृद्धि होगी। इससे आमदनी, सेविंग और खर्च में बढ़ोतरी होगी। यह अनुमान इस्पात, सड़क और रेलवे जैसे प्रमुख क्षेत्रों में बुनियादी ढांचागत विकास के साथ-साथ ग्रामीण खर्च और कृषि क्षेत्र में उछाल पर आधारित है। सर्वेक्षण रिपोर्ट सरकार को कुछ सुझाव देती है, जो यूनियन बजट को प्रभावित कर सकते हैं, जिनका मकसद रोजगार सृजन करना है। इनमें एमएसएमई और स्टार्ट-अप के लिए एसओपी और रियायतें शामिल हैं। हालांकि, प्राथमिक ध्यान सभी क्षेत्रों में महिलाओं के लिए रोजगार को बढ़ाने पर है।