नहीं रहे श्री दुर्गेश स्पोर्टिंग क्लब के संस्थापक सचिव उमेश
तुम बहुत याद आओगे उमेश- दुकानदार
वाराणसी (जनवार्ता)। जब कोई अपना जाता है तो उसकी जिम्मेदारी या यूं कहें जाने का गम पल दो पल का नहीं बल्कि जिंदगी भर का रहता है। कुछ ऐसी ही घटना मंगलवार की रात हुई हैं। जब एक भक्त पंडाल में आरती कराने के बाद तबीयत बिगड़ने लगी। जब तक लोग अस्पताल ले गए। उसी दौरान उनका देहांत हो गया। देहांत होने के बाद चारों ओर उदासीन माहौल बना रहा। नवरात्रि का पर्व और चारों ओर पंडालों में विभिन्न क्लबों एवं समितियों के द्वारा माँ दुर्गा की प्रतिमाओं को स्थापना रही। ऐसा ही एक क्लब जो कि दुर्गाकुंड कुष्मांडा मंदिर के समीप श्री दुर्गेश स्पोर्टिंग क्लब के नाम से है। जिसमें मंगलवार की रात आठ बजे क्लब संस्थापक सचिव ओमप्रकाश सिंह उर्फ उमेश आरती कराने के बाद उनकी तबीयत बिगड़ने लगी। लोगों ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय के अस्पताल के इमरजेंसी में उपचार के लिए भर्ती कराया। जहां कुछ देर बाद उनकी मौत हो गई।
यह जानकारी मिलने पर क्लब परिसर में डी.जे., झालर एवं विभिन्न कार्यक्रम रद्द कर दिए गए और बुधवार की सुबह ही मां की प्रतिमा का शांति तरीके से या यूं कहें उदासीन नम आंखों से मां का विसर्जन किया गया। यह क्लब की स्थापना संस्थापक सचिव उमेश ने ही 1978 को किया था। आरती समाप्त होने के बाद अचानक तबीयत बिगड़ने लगी थी। डॉक्टरों के अनुसार हार्ट अटैक आने से उनकी मौत हुई है। यह जानकारी क्लब के संरक्षक मदन लाल मौर्या ने दी ।
संस्थापक सचिव की मौत होने की सूचना मिलते ही दुर्गाकुण्ड के आसपास दुकानदारों में शोक की लहर दौड़ पड़ी। दुकानदारों का कहना है कि उमेश मसीहा की तरह हम लोगों का मदद की है। कोई याद करें या ना करें लेकिन हम उनको हमेशा याद करते रहेंगे। उमेश बहुत याद आओगे।
सुख दुख में खड़े रहते थे उमेश
क्लब के सदस्यों का कहना है कि उमेश ने सुख दुख में लोगों की मदद व सहयोग करने के लिए निरंतर एक पैर पर खड़े रहते थे। ये अत्यधिक मिलनसार स्वभाव के व्यक्ति थे। उनके जाने पर पंडाल के चारों ओर जगमगाती लाइटिंग, साउंड बॉक्स इत्यादि को बंद कर दिया गया लेकिन परंपरागत तरीके से मां का विसर्जन सुबह होते ही कर दिया गया। क्लब के लोगों ने नम आंखों से अपने संस्थापक सचिव उमेश को अंतिम विदाई कर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।