सेंट्रल बार एसोसिएशन से निष्कासन के विरोध में अधिवक्ताओं का धरना जारी, डॉ. राहुल राज ने की निष्पक्ष जांच की मांग
वाराणसी (जनवार्ता)। सेंट्रल बार एसोसिएशन से निष्कासन के विरोध में अधिवक्ता डॉ. राहुल राज समेत कई वकील सोमवार से डीएम कार्यालय के पास धरने पर बैठे हैं। धरना को 24 घंटे से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन अधिवक्ता अपनी मांगों पर अडिग हैं। उन्होंने निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए कहा कि जब तक न्याय नहीं मिलेगा, आंदोलन जारी रहेगा।


अधिवक्ता डॉ. राहुल राज ने बताया कि कुछ दिन पहले एफसीएटी कोर्ट में उनके केस की बेल लगी थी। इस दौरान उनके जूनियर ने शासकीय अधिवक्ता मनोज गुप्ता से केवल “सीडी कमेंट” के लिए निवेदन किया, जिस पर उन्होंने पैसे की मांग की। जब इस पर आपत्ति जताई गई तो उन्होंने अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए गाली-गलौज शुरू कर दिया।
डॉ. राज ने बताया कि बाद में कचहरी परिसर में जब उन्होंने विनम्रता से बातचीत कर मामले को सुलझाने का प्रयास किया तो मनोज गुप्ता ने फिर से बदतमीजी की। इसी दौरान, एक अज्ञात अधिवक्ता — जो लगभग 50-52 वर्ष का था — पीछे से आकर उन्हें मारकर चला गया। इसके बाद, बिना किसी जांच-पड़ताल के सेंट्रल बार एसोसिएशन के महामंत्री ने एकतरफा कार्रवाई करते हुए उन्हें तीन वर्ष के लिए बार से निष्कासित कर दिया।
डॉ. राहुल राज ने आरोप लगाया कि यह कार्रवाई पूर्णतः असंवैधानिक और पक्षपातपूर्ण है। “महामंत्री ने जातीवादी रवैया अपनाते हुए आनन-फानन में आमसभा बुला ली। न तो तारीख और समय की पूर्व सूचना दी गई, न ही हमारे पक्ष को सुना गया। यह संविधान और अधिवक्ता समुदाय दोनों के अधिकारों का हनन है,” उन्होंने कहा।
धरने के दौरान मीडिया से बातचीत में डॉ. राहुल राज ने कहा,
> “हम कचहरी में दूसरों को न्याय दिलाते हैं, लेकिन आज हमें ही बिना जांच के दोषी ठहरा दिया गया। यह संविधान बचाने की, कचहरी की गरिमा और आम अधिवक्ता के अधिकार की लड़ाई है। हम तब तक धरने पर रहेंगे जब तक निष्पक्ष जांच नहीं होती।”
धरना स्थल पर अधिवक्ताओं की बढ़ती भीड़ के साथ वातावरण में रोष साफ झलक रहा है। अधिवक्ताओं ने चेतावनी दी है कि यदि मामले की निष्पक्ष जांच शीघ्र शुरू नहीं हुई तो आंदोलन को और व्यापक किया जाएगा।

