निजीकरण के खिलाफ बिजलीकर्मियों का संघर्ष और तेज करने का ऐलान

निजीकरण के खिलाफ बिजलीकर्मियों का संघर्ष और तेज करने का ऐलान

वाराणसी  (जनवार्ता)। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के बैनर तले वाराणसी के बिजलीकर्मियों ने सोमवार को भिखारीपुर स्थित प्रबंध निदेशक कार्यालय पर जोरदार प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन बिजली विभाग के निजीकरण के प्रयासों और फेसियल अटेंडेंस को संसाधन उपलब्ध कराए बिना अनिवार्य बनाकर वेतन रोकने की कार्रवाई के विरोध में आयोजित किया गया। प्रदर्शनकारी कर्मचारियों ने साफ कर दिया कि जब तक इन उत्पीड़नात्मक नीतियों को पूरी तरह वापस नहीं लिया जाता, तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा।

प्रबंधन पर सवाल: संसाधन कहां हैं?
प्रदर्शन में शामिल कर्मचारियों ने स्पष्ट किया कि वे फेसियल अटेंडेंस के सिद्धांत का विरोध नहीं कर रहे, बल्कि उसकी तकनीकी और संरचनात्मक व्यवस्था की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि कार्यालयों और उपकेंद्रों में कैमरा युक्त कंप्यूटर या मोबाइल डिवाइस मुहैया कराना प्रबंधन की जिम्मेदारी है। उन्होंने यह भी पूछा कि अगर फील्ड में तैनात कर्मचारी केवल निर्धारित समय तक अटेंडेंस दर्ज करेंगे, तो शाम के बाद होने वाले ब्रेकडाउन या लाइन फॉल्ट की जिम्मेदारी कौन लेगा?

पुरानी वार्ता का उल्लंघन, वेतन रोके जाने पर रोष
संघर्ष समिति ने बताया कि 20 जून 2025 को पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक और समिति के प्रतिनिधियों के बीच हुई वार्ता में यह सहमति बनी थी कि जब तक सभी स्थानों पर संसाधन उपलब्ध नहीं कराए जाते, तब तक फेसियल अटेंडेंस को बाध्यकारी नहीं बनाया जाएगा। इसके बावजूद जून और जुलाई माह का वेतन रोक दिया गया, जिसे कर्मचारी अनुचित और अन्यायपूर्ण मान रहे हैं।

निजीकरण के खिलाफ आर-पार की लड़ाई
सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने आरोप लगाया कि विभाग का शीर्ष प्रबंधन कुछ निजी कंपनियों के साथ सांठगांठ कर विभाग को निजी हाथों में सौंपने का प्रयास कर रहा है। जब निजीकरण की प्रक्रिया में सफलता नहीं मिली तो अब कर्मचारियों को मानसिक दबाव में लाने की कोशिश की जा रही है। वक्ताओं ने दोहराया कि बिजलीकर्मी किसी भी सूरत में निजीकरण को स्वीकार नहीं करेंगे और उनका आंदोलन अब और तेज होगा।

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संघर्ष समिति की प्रमुख मांगें
प्रदर्शन के दौरान संघर्ष समिति ने मांग की कि मार्च 2023 की हड़ताल के बाद ऊर्जा मंत्री द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुरूप सभी उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियां तुरंत वापस ली जाएं। निजीकरण और डाउनसाइजिंग के नाम पर हटाए गए संविदा कर्मचारियों को बहाल किया जाए। ट्रांसफर किए गए कर्मचारियों को वापस तैनात किया जाए। फेसियल अटेंडेंस के चलते रोके गए वेतन का तत्काल भुगतान किया जाए। स्टेट विजिलेंस द्वारा दर्ज की गई कथित फर्जी एफआईआर रद्द की जाए। और रियायती बिजली की सुविधा को खत्म करने की नीयत से की जा रही स्मार्ट मीटर लगाने की जबरन कार्रवाई तुरंत बंद की जाए।

प्रदर्शन सभा में जुटे सैकड़ों बिजलीकर्मी
सभा की अध्यक्षता ई. आर. बी. यादव ने की, जबकि संचालन का दायित्व अंकुर पाण्डेय ने निभाया। इस अवसर पर ई. राजेन्द्र सिंह, ई. एस.के. सिंह, ई. पंकज जैसवाल, वेद प्रकाश राय, रविन्द्र यादव, रामकुमार झा, राजेश सिंह, हेमंत श्रीवास्तव, संदीप सिंह, प्रदीप कुमार, ई. दीपक गुप्ता, मनोज यादव, अनिल कुमार, प्रमोद कुमार, उमेश यादव और उदयभान दुबे सहित कई वरिष्ठ बिजलीकर्मियों ने सभा को संबोधित किया।

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