निजीकरण के खिलाफ अगले सप्ताह से संघर्ष समिति के केंद्रीय पदाधिकारियों का होगा प्रांतव्यापी दौरा
वाराणसी (जनवार्ता)। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के बैनर तले बनारस के बिजलीकर्मियों ने आज लगातार 266वें दिन भी बिजली के निजीकरण के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। इस अवसर पर वक्ताओं ने आंदोलनरत बिजलीकर्मियों से अपील की कि उपभोक्ताओं को बढ़ती बिजली मांग के बीच किसी भी प्रकार की कठिनाई न हो और निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित की जाए।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि 19 अगस्त की रात 10:21 बजे प्रदेश में बिजली की मांग 30,251 मेगावॉट तक पहुंच गई, जबकि जून में 31,486 मेगावॉट की अब तक की अधिकतम मांग दर्ज की गई थी। अगस्त और सितम्बर में यह मांग और अधिक बढ़ने की संभावना है।
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समिति ने कहा कि आंदोलन के दौरान भी बिजलीकर्मी उपभोक्ताओं को साथ लेकर चल रहे हैं। महाकुंभ से लेकर भीषण गर्मी के दिनों तक बिजली की आपूर्ति सुचारु रखकर बिजलीकर्मियों ने एक मिसाल कायम की है। उनका स्पष्ट निर्देश है कि निजीकरण के खिलाफ संघर्ष जारी रहेगा, लेकिन उपभोक्ताओं को किसी भी तरह की परेशानी नहीं होनी चाहिए।
संघर्ष समिति ने पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन पर आरोप लगाया कि वह आंदोलन को दबाने की कोशिश कर रहा है और हजारों बिजलीकर्मियों का जून-जुलाई माह का वेतन रोक दिया गया है। समिति ने चेतावनी दी कि यदि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का टेंडर जारी किया गया तो प्रदेश के सभी ऊर्जा निगमों के कर्मचारी, संविदा कर्मी, जूनियर इंजीनियर और अभियंता अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार शुरू कर देंगे और सामूहिक जेल भरो आंदोलन करेंगे।
आज राजधानी लखनऊ में संघर्ष समिति के केंद्रीय पदाधिकारियों की बैठक हुई, जिसमें आंदोलन को और तेज करने की रणनीति तय की गई। अभियंता संघ ने अधिकतम अभियंताओं तक पहुंच बनाने के लिए परियोजना-वार ऑनलाइन बैठकें शुरू की हैं। आज हरदुआगंज और पारीछा ताप बिजली घरों के अभियंताओं की ऑनलाइन बैठक आयोजित की गई। अगले सप्ताह से संघर्ष समिति के केंद्रीय पदाधिकारी प्रांतव्यापी दौरे पर निकलेंगे।