समिति पुनर्जीवित, किसानों में खुशी की लहर

समिति पुनर्जीवित, किसानों में खुशी की लहर

वाराणसी (जनवार्ता)। वाराणसी जनपद की चकखरावन साधन सहकारी समिति लिमिटेड, जो बीते 12 वर्षों से निष्क्रिय पड़ी थी, ने एक बार फिर अपने व्यवसायिक संचालन की शुरुआत कर दी है। यह संभव हो सका है सहकारिता विभाग वाराणसी मंडल और जिला सहकारी बैंक लिमिटेड वाराणसी के संयुक्त प्रयासों से, जो उपायुक्त एवं उपनिबंधक सहकारिता श्रीमती सोमी सिंह के निर्देशन में संचालित हुए।

विकासखंड बड़ागांव स्थित इस समिति को उर्वरक वितरण की ऋण सीमा स्वीकृत किए जाने के बाद बुधवार को 50 से अधिक किसानों को यूरिया का वितरण किया गया। लंबे अंतराल के बाद समिति के पुनः सक्रिय होने से क्षेत्रीय किसानों में उत्साह की लहर है और सहकारिता आंदोलन को एक नई ऊर्जा प्राप्त हुई है।

*उपायुक्त का विज़न और समर्थन*
उपायुक्त श्रीमती सोमी सिंह ने इसे *“अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 के अवसर पर एक सार्थक पहल”* बताया और कहा कि वर्षों से बंद पड़ी समितियों के पुनर्जीवन से ग्रामीण अंचल में सहकारिता की नींव और भी सशक्त होगी।

*जमीनी सहयोग और भरोसा*
उपायुक्त के निर्देश पर जिला सहकारी बैंक के सचिव एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी श्री मिलिंद कुमार स्वयं बैंक की टीम के साथ समिति पर पहुंचे और किसानों व समिति प्रबंध कमेटी से संवाद कर सहयोग का भरोसा दिलाया। उन्होंने समिति के पुनः संचालन में सहयोग देने के लिए स्थानीय किसानों और समिति पदाधिकारियों का आभार भी व्यक्त किया।

किसानों की आवाज़:
इस मौके पर उपस्थित किसानों ने भी समिति की पुनः सक्रियता पर प्रसन्नता जाहिर की —
*हर्षित सिंह* ने कहा, “वर्षों बाद समिति पर उर्वरक मिलने से बेहद खुशी है।”
*रामलाल* बोले, “अब यूरिया और डीएपी के लिए 10 किलोमीटर दूर नहीं जाना पड़ेगा।”
*प्रेमशंकर* ने कहा, “समिति के सक्रिय हो जाने से हम सभी को बड़ी राहत मिली है।”
उपस्थित प्रमुख लोग:
इस अवसर पर समिति के सभापति रामबली पटेल, उपसभापति  मोहन सिंह पटेल, ग्राम प्रधान रविंद्र पटेल, जिला सहकारी बैंक बड़ागांव शाखा के प्रबंधक  नायब सिंह, सहायक विकास अधिकारी सहकारिता  नंदकिशोर सहित विजय पटेल, अनिल यादव, संतोष पटेल, प्रेमशंकर, रामलाल समेत अनेक किसान उपस्थित रहे।
चकखरावन समिति का पुनर्जीवन केवल उर्वरक वितरण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण सहकारिता व्यवस्था में किसानों के विश्वास की पुनर्स्थापना का प्रतीक भी है। यह पहल भविष्य में अन्य निष्क्रिय समितियों के लिए प्रेरणा बनेगी।

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