शारदा भवन में गणेश उत्सव पर हुआ शास्त्रार्थ

शारदा भवन में गणेश उत्सव पर हुआ शास्त्रार्थ

वाराणसी (जनवार्ता): अगस्त्य कुंड स्थित शारदा भवन में गणेश उत्सव के दूसरे दिन गुरुवार को संस्कृत भाषा को समर्पित भव्य आयोजन हुआ। गणपति के दरबार में संस्कृत के बटुकों और विद्वानों की उपस्थिति ने समारोह को गरिमामय बना दिया।

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सुबह आयोजित संस्कृत परीक्षा में 38 विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया। कनिष्ठ वर्ग में व्याकरण (अष्टाध्यायी 1-2 अध्याय), ज्योतिष (अवकड़हाचक्रम्), साहित्य (रघुवंश तृतीय सर्ग) और दर्शन (मुक्तावली प्रत्यक्षखण्ड) पर आधारित प्रतियोगिता हुई। वरिष्ठ वर्ग में व्याख्यान प्रतियोगिता आयोजित की गई, जिसमें मम्मट या विश्वनाथ के लक्षणालक्षण विचार, व्याकरण सूत्रों यथा “येन विधिस्तदन्तस्य” और “इको यणचि स्वतन्त्रः कर्ता” पर 5 मिनट का व्याख्यान और 2 मिनट का प्रश्नोत्तर सत्र शामिल रहा। प्रथम स्थान प्राप्तकर्ता को श्री शिवकुमार शिवाचार्य महास्वामी रजत पदक, द्वितीय और तृतीय पुरस्कार प्रदान किए गए।

दोपहर बाद शास्त्रार्थ प्रतियोगिता में व्याकरण से “कर्तृकर्मणो कृति उभयप्राप्ती कर्मणि” सूत्र, न्याय से आत्मतत्त्व विचार और वेदान्त से प्रत्यक्षत्व प्रयोजक पर विद्वानों ने विचार प्रस्तुत किए। पुरस्कृत छात्रों को दैवज्ञ वाचस्पति पं. यागेवर पाठक, वेदमूर्ति पं. रमाकांत पाठक और महामहोपाध्याय पं. बटुकनाथ शास्त्री खिस्ते की स्मृति में पुरस्कार दिए गए।

सायंकाल विद्वत गोष्ठी में मुख्य अतिथि शहर दक्षिणी के विधायक डॉ. नीलकंठ तिवारी ने कहा, “संस्कृत हमारी सांस्कृतिक विरासत का मूल है। इसके सम्मान से हमारा गौरव है। विदेशी आज भी हमारी संस्कृति की नकल करते हैं। नई पीढ़ी को इसे आगे बढ़ाने की ललक होनी चाहिए।” गोष्ठी की अध्यक्षता पूर्व कुलपति प्रो. राजाराम शुक्ल ने की। डॉ. गणेश दत्त शास्त्री, डॉ. दिव्य स्वरूप ब्रह्मचारी, डॉ. रमाकांत पाण्डेय सहित अनेक विद्वान उपस्थित रहे।

शाम 7:30 बजे चारों वेदों के उदीयमान वैदिक बालकों द्वारा वेदघोष हुआ, तत्पश्चात वैदिक विद्वानों का सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. वृहस्पति भट्टाचार्य और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. विनोद राव पाठक ने किया। स्वागत यादव राव पाठक ने किया।

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शुक्रवार को सायं 7 बजे संगीत सभा का आयोजन होगा, जिसमें अनेक कलाकार अपनी प्रस्तुति देंगे।

Shiv murti

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