बिजलीकर्मी निजीकरण के खिलाफ डटे
टेण्डर हुआ तो करेंगे कार्य बहिष्कार और जेल भरो आंदोलन

वाराणसी (जनवार्ता) । विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के बैनर तले बनारस के बिजलीकर्मियों ने आज भी विभिन्न बिजली कार्यालयों पर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। कर्मचारियों ने चेतावनी दी कि यदि पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का टेण्डर जारी हुआ तो समस्त बिजलीकर्मी अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार और सामूहिक जेल भरो आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।

प्रदर्शन के दौरान वक्ताओं ने बताया कि संघर्ष समिति ने आज विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन को पत्र भेजकर स्पष्ट मांग की है कि पॉवर कार्पोरेशन द्वारा तैयार निजीकरण के आर.एफ.पी. डाक्यूमेंट को मंजूरी न दी जाए और किसी भी निर्णय से पहले संघर्ष समिति को अपना पक्ष रखने का अवसर प्रदान किया जाए।

संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि निजीकरण से करीब 50 हजार संविदा कर्मियों की छंटनी और लगभग 16,500 नियमित कर्मचारियों की नौकरी खतरे में पड़ जाएगी। अभियंता और जूनियर इंजीनियरों पर पदावनति का भी खतरा मंडराएगा। ऐसे में बिना कर्मचारियों का पक्ष सुने आयोग द्वारा कोई फैसला लेना अन्यायपूर्ण होगा।
संघर्ष समिति ने यह भी आरोप लगाया कि पूर्व निदेशक वित्त निधि नारंग ने अवैध रूप से नियुक्त ट्रांजैक्शन कंसल्टेन्ट ग्रांट थार्टन के साथ मिलकर कुछ निजी घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए यह दस्तावेज तैयार कराया था। संभवतः इन्हीं कारणों से राज्य सरकार ने उन्हें सेवा विस्तार नहीं दिया और अब नए निदेशक वित्त संजय मेहरोत्रा कार्यभार संभाल चुके हैं। समिति ने मांग की कि निधि नारंग द्वारा तैयार निजीकरण से जुड़े दस्तावेज को तत्काल निरस्त किया जाए।
लखनऊ में हुई केंद्रीय पदाधिकारियों की बैठक में भी प्रबंधन की दबावपूर्ण कार्यप्रणाली पर गहरी चिंता व्यक्त की गई और सभी कर्मचारियों, संविदा कर्मियों व अभियंताओं को सतर्क रहते हुए आंदोलन के लिए तैयार रहने का आह्वान किया गया।
सभा को संबोधित करने वालों में अंकुर पाण्डेय, मनोज यादव, रोहित कुमार, योगेंद्र कुमार, एस.के. भूषण, राजू सिंह, अरुण कुमार, रमेश सिंह, आदित्य पाण्डेय, पी.एन. चक्रधारी, अभिषेक कुमार, गुलजार, प्रवीण सिंह, वीरेंद्र कुमार और अरुण कुमार सिंह प्रमुख रहे।

