बनारस में बिजली कर्मचारियों का 320वें दिन भी निजीकरण के खिलाफ प्रदर्शन
वाराणसी (जनवार्ता): विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के बैनर तले बनारस के बिजली कर्मचारियों ने 320वें दिन भी बिजली के निजीकरण का कड़ा विरोध किया। कर्मचारियों ने ऊर्जा विभाग पर ऊर्जा मंत्री एके शर्मा के निर्देशों की अनदेखी करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मंत्री ने खुले ट्रांसफार्मर और झूलते तारों से जनसुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संयुक्त सर्वेक्षण और “वन टाइम सर्विस ड्राइव” चलाने का निर्देश दिया था, लेकिन विभाग संविदा कर्मचारियों को हटाने और बिजली कर्मचारियों पर कार्रवाई का डर दिखाकर उनका मनोबल तोड़ने में लगा है।
संघर्ष समिति ने ऊर्जा मंत्री के निर्देशों के बावजूद संविदा कर्मचारियों को काम पर वापस न लेने की निंदा की। वक्ताओं ने बताया कि मार्च 2023 में मनमाने ढंग से संविदा कर्मचारियों को हटाने से बिजली व्यवस्था बेपटरी हो गई। उन्होंने मांग की कि निकाले गए कर्मचारियों को तत्काल बहाल किया जाए।
कर्मचारियों ने लखनऊ और कानपुर में लागू वर्टिकल रिस्ट्रक्चरिंग व्यवस्था का भी विरोध किया। समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने विधानसभा की प्राक्कलन समिति के अध्यक्ष और मेरठ के विधायक अमित अग्रवाल से फोन पर बात की। अग्रवाल ने कहा कि मेरठ में वर्टिकल रिस्ट्रक्चरिंग के बाद बिजली व्यवस्था और खराब हो गई है। उन्होंने 12 सितंबर 2025 की प्राक्कलन समिति की बैठक में भी इस व्यवस्था का विरोध किया था और इसे उपभोक्ताओं के हित में नहीं बताया।
वक्ताओं ने कहा कि ऊर्जा विभाग की गलत नीतियों के कारण इस साल गर्मी में बिजली व्यवस्था चरमरा गई। कर्मचारियों की कमी के चलते एक अवर अभियंता को 2-3 उपकेंद्रों का काम संभालना पड़ रहा है। उन्होंने मांग की कि प्रदेश के 3.5 करोड़ उपभोक्ताओं को बेहतर बिजली आपूर्ति के लिए कम से कम 2 लाख योग्य कर्मचारियों की भर्ती की जाए।
सभा को मायाशंकर तिवारी, एसके सिंह, अंकुर पाण्डेय, धर्मेंद्र यादव, सरोज भूषण, प्रवीण सिंह, अरविंद कौशनन्दन, अरुण कुमार, रमेश कुमार, अलका कुमारी, पूजा कुमारी, नेहा कुमारी, पंकज यादव, बृजेश यादव, रमेश यादव, मनोज यादव और ब्रिज सोनकर ने संबोधित किया।