बनारस में बिजली कर्मियों का 287वें दिन भी जोरदार प्रदर्शन
वाराणसी (जनवार्ता) : विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के बैनर तले बनारस के बिजली कर्मियों ने निजीकरण और मनमाने ढंग से हजारों पदों को समाप्त करने की कार्रवाई के खिलाफ 287वें दिन भी जोरदार प्रदर्शन किया। कर्मचारियों ने पावर कॉरपोरेशन के शीर्ष प्रबंधन पर वर्टिकल सिस्टम के नाम पर बिजली व्यवस्था को पटरी से उतारने की साजिश रचने का आरोप लगाया।
प्रदर्शनकारियों ने बताया कि लखनऊ विद्युत आपूर्ति प्रशासन (लेसा) में 8,000 से अधिक पदों को समाप्त करने का निर्णय लिया गया है, जिसमें 2,055 नियमित और लगभग 6,000 संविदा कर्मियों के पद शामिल हैं। वक्ताओं ने कहा कि अधीक्षण अभियंता के 12 पदों को घटाकर 8, अधिशासी अभियंता के 50 पदों को 35, सहायक अभियंता के 109 पदों को 86, अवर अभियंता के 287 पदों को 142 और टीजी-2 के 1,852 पदों को घटाकर 503 किया जा रहा है। इसके अलावा, लेखा संवर्ग में अकाउंटेंट के 104 पदों को 53, एग्जीक्यूटिव असिस्टेंट के 686 पदों को 280 और कैंप असिस्टेंट के 74 पदों को 12 करने का निर्णय लिया गया है। संविदा कर्मियों पर सबसे भारी मार पड़ रही है, जिनके 6,000 से अधिक पद समाप्त किए जा रहे हैं।
संघर्ष समिति ने चेतावनी दी कि मध्यांचल, पश्चिमांचल, पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों में हजारों पदों को समाप्त करने से पूरे ऊर्जा क्षेत्र के निजीकरण की आशंका बढ़ गई है। इससे बिजली व्यवस्था और उपभोक्ता सेवाएं बुरी तरह प्रभावित होंगी। समिति ने मुख्यमंत्री से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है, अन्यथा बिजली व्यवस्था के ध्वस्त होने का खतरा है।
सभा को मनोज जैसवाल (अध्यक्ष, हिंदू बुनकर कल्याण समिति), ई.एस.के. सिंह, अंकुर पांडेय, कृष्णा लाल, संजय गौतम, बंशीलाल, जितेंद्र कुमार, पंकज यादव, नागेंद्र कुमार, राजेंद्र सिंह, सन्नी कुमार, सरोज भूषण, योगेंद्र कुमार, रंजीत कुमार, कृपाल सिंह, अरविंद कौशनंदन, संदीप कुमार, प्रवीण कुमार, अनुराग मौर्य, अवधेश यादव और ब्रिज सोनकर ने संबोधित किया।