बिजली कर्मचारियों ने अपनी लड़ाई को और तेज करने का किया ऐलान

बिजली कर्मचारियों ने अपनी लड़ाई को और तेज करने का किया ऐलान

संविदाकर्मियों के लिए 35-40 लाख मुआवजे की मांग

rajeshswari

वाराणसी (जनवार्ता): विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने निजीकरण के खिलाफ अपनी लड़ाई को और तेज करने का ऐलान किया है। मंगलवार को वाराणसी में आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक और “चिंतन मंथन शिविर – संदर्भ निजीकरण” में बिजली कर्मचारियों और अभियंताओं ने एक स्वर में पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। साथ ही, संविदाकर्मियों के लिए होमगार्ड और सफाईकर्मियों की तरह विद्युत दुर्घटना पर 35-40 लाख रुपये मुआवजे की मांग उठाई गई।

संघर्ष समिति के प्रदेश संयोजक और ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन इं. शैलेंद्र दुबे की अध्यक्षता में हुई बैठक में निजीकरण के विकल्पों को बिजली कर्मचारियों के भविष्य के लिए हानिकारक बताते हुए खारिज किया गया। दुबे ने बताया कि पावर कॉरपोरेशन के चेयरमैन डॉ. आशीष गोयल द्वारा प्रस्तावित तीन विकल्प—निजी कंपनी में नौकरी, अन्य निगमों में वापसी, या स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति—कर्मचारियों के हितों के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा कि निजीकरण किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है और इसके खिलाफ 314 दिन से चल रहा आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक निजीकरण का निर्णय वापस नहीं लिया जाता।

शिविर के दौरान यह जानकारी मिलने पर कि पश्चिमांचल और मध्यांचल के बड़े शहरों में अर्बन डिस्ट्रीब्यूशन फ्रेंचाइजी की तैयारी है, कर्मचारियों और अभियंताओं में आक्रोश फैल गया। दुबे ने बताया कि इन शहरों में वर्टिकल रिस्ट्रक्चरिंग सिस्टम के साथ फ्रेंचाइजी का टेंडर भी पूर्वांचल और दक्षिणांचल के निजीकरण टेंडर के साथ जारी होगा। उन्होंने आह्वान किया कि टेंडर जारी होते ही सामूहिक जेल भरो आंदोलन शुरू किया जाएगा।

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उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ के महासचिव जितेंद्र सिंह गुर्जर ने कहा कि चिंतन मंथन शिविर का उद्देश्य अभियंताओं को निजीकरण के खिलाफ निर्णायक संघर्ष के लिए तैयार करना है। उन्होंने बताया कि ऐसे पांच शिविर डिस्कॉम स्तर पर आयोजित किए जा रहे हैं। गुर्जर ने जोर देकर कहा कि यदि अभियंता एकजुट होकर संकल्प लें, तो उत्तर प्रदेश में पावर सेक्टर में निजी घरानों को रोकना असंभव नहीं है।

बैठक में माया शंकर तिवारी, अंकुर पांडेय, ए.पी. शुक्ला, मनोज कुमार सिंह, जगदीश पटेल, पुष्पेंद्र सिंह, उपेंद्र चौरसिया, पंकज कुमार, जिवेश नंदन, शिवम रंजन, शशि कुमार सिंह, बीरेंद्र सिंह, नरेंद्र वर्मा सहित कई पदाधिकारी और अभियंता शामिल रहे।

Shiv murti

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