बिजली कर्मियों ने मुख्यमंत्री से की निजीकरण निरस्त करने की अपील
वाराणसी (जनवार्ता) ।विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के बैनर तले बनारस के बिजली कर्मियों ने बिजली निजीकरण के विरोध में मंगलवार को 258वें दिन भी जोरदार प्रदर्शन किया। कर्मचारियों ने निजीकरण को जनविरोधी और संदेहास्पद बताते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इसे तत्काल निरस्त करने की अपील की।
वक्ताओं ने कहा कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण की प्रक्रिया पारदर्शिता से रहित है और यह जनहित के खिलाफ है। उन्होंने स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट के हवाले से बताया कि निजीकरण के बाद निजी कंपनियों को सरकार सब्सिडी पर बिजली आपूर्ति करेगी, जब तक वे मुनाफे में न आएं। इसके लिए सरकार को अरबों रुपये खर्च करने पड़ सकते हैं, जिसका खुलासा नहीं किया गया है।
संघर्ष समिति ने सवाल उठाया कि यदि सरकार निजी कंपनियों को सब्सिडी, सस्ती बिजली, और जमीन मात्र 1 रुपये प्रति वर्ष की लीज पर दे सकती है, तो सरकारी वितरण निगमों को ऐसी सुविधाएं देकर उनका कायाकल्प क्यों नहीं किया जा सकता? समिति ने बताया कि सरकारी निगमों का घाटा महंगी दरों पर निजी उत्पादन घरानों से बिजली खरीद के करारों के कारण है, जिसमें बिना बिजली खरीदे भी 6761 करोड़ रुपये सालाना फिक्स चार्ज देना पड़ता है।
वक्ताओं ने कहा कि निजीकरण के बाद सरकार न केवल निजी कंपनियों को सब्सिडी देगी, बल्कि सरकारी विभागों का बकाया और किसानों-बुनकरों को दी जाने वाली सब्सिडी भी वहन करेगी। साथ ही, निजी कंपनियों को क्लीन बैलेंस शीट और 5-7 साल तक वित्तीय सहायता दी जाएगी। समिति ने इसे जनता के साथ छलावा करार दिया।
सभा को ई. रामाशीष, ई. प्रदीप कुमार, अंकुर पाण्डेय, सरोज भूषण, पंकज यादव, मो. सलाम, उमेश यादव, बृजेश यादव, धनपाल सिंह, भैयालाल, रामजी भारद्वाज, मनोज यादव, रोहित कुमार, अजय तिवारी, अनुनय पाण्डेय, विनोद सिंह आदि ने संबोधित किया।