बिजली कर्मियों ने 2020 के समझौते के तहत की निजीकरण निरस्त करने की मांग
वाराणसी (जनवार्ता) । विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के बैनर तले बनारस के बिजली कर्मियों ने 314वें दिन भी पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। कर्मचारियों ने 06 अक्टूबर 2020 को तत्कालीन ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा और वित्त मंत्री सुरेश खन्ना के साथ हुए लिखित समझौते का हवाला देते हुए निजीकरण का निर्णय रद्द करने की मांग की।
वक्ताओं ने बताया कि 2020 के समझौते में स्पष्ट लिखा है कि बिजली कर्मियों और अभियंताओं को विश्वास में लिए बिना उत्तर प्रदेश में कहीं भी निजीकरण नहीं होगा। इसके बावजूद, पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन द्वारा निजीकरण की घोषणा को समझौते का खुला उल्लंघन बताते हुए कर्मचारियों ने आक्रोश जताया। उन्होंने कहा कि इस निर्णय के चलते पिछले 314 दिनों से बिजली कर्मी सड़कों पर आंदोलन करने को मजबूर हैं।
संघर्ष समिति ने कहा कि समझौते के बाद भी प्रबंधन ने सुधार के लिए कोई वार्ता नहीं की, जबकि समिति ने समझौते के एक महीने के भीतर ही सुधार प्रस्ताव सौंप दिया था। कर्मचारियों ने चेतावनी दी कि समझौते का सम्मान न होने से अविश्वास का माहौल बन रहा है, जो सरकार और प्रबंधन दोनों के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।
विरोध प्रदर्शन में कर्मचारियों ने समझौते की प्रतियां प्रदर्शित कीं और नारे लगाए- “समझौते का सम्मान करो, निजीकरण वापस लो।”* सभा को ई. मायाशंकर तिवारी, कृष्णा सिंह, अंकुर पाण्डेय, रोहित कुमार, संजय गौतम, सुशांत गौतम, मनोज यादव, प्रवीण कुमार, अरविंद कौशनन्दन, रजनीश श्रीवास्तव, योगेश जैसवाल, मिथिलेश कुमार, बंशीलाल, रमाकांत यादव आदि ने संबोधित किया।