बनारस में बिजली कर्मियों ने किया निजीकरण का जोरदार विरोध

बनारस में बिजली कर्मियों ने किया निजीकरण का जोरदार विरोध

वाराणसी (जनवार्ता): विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के बैनर तले शनिवार को बनारस के बिजली कर्मियों ने विभिन्न कार्यालयों पर बिजली के निजीकरण के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया। कर्मचारियों ने निजीकरण के दुष्परिणामों पर चिंता जताते हुए इसे उपभोक्ताओं और कर्मचारियों दोनों के लिए हानिकारक बताया।

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वक्ताओं ने कहा कि सरकारी संस्थाएँ सेवा को प्राथमिकता देती हैं, जबकि निजी कंपनियाँ लाभ कमाने पर ध्यान देती हैं। इससे बिजली दरें बढ़ेंगी, जिसका बोझ गरीब और ग्रामीण उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। निजीकरण के बाद एकमुश्त समाधान योजना और आसान किश्त योजना जैसी सुविधाएँ समाप्त हो सकती हैं, जिससे उपभोक्ता लालटेन युग में वापस लौटने को मजबूर होंगे। सब्सिडी में कटौती और ग्रामीण व पहाड़ी क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति की उपेक्षा की भी आशंका जताई गई।

वक्ताओं ने चेतावनी दी कि निजीकरण से एकाधिकार (मोनोपॉली) बनने पर सेवा की गुणवत्ता में कमी, रखरखाव में लापरवाही और उपभोक्ता शिकायतों की अनदेखी जैसी समस्याएँ सामने आएंगी। सरकारी कंपनियाँ जनता और संसद के प्रति जवाबदेह होती हैं, जबकि निजी कंपनियों में पारदर्शिता की कमी से भ्रष्टाचार, मनमानी दरें और अनुचित अनुबंधों का खतरा बढ़ेगा। कर्मचारियों की छँटनी, ठेका प्रणाली और वेतन कटौती से सेवा की गुणवत्ता पर भी असर पड़ेगा। साथ ही, निजी कंपनियाँ दीर्घकालिक निवेश, जैसे नवीकरणीय ऊर्जा और पर्यावरण संरक्षण, की उपेक्षा कर सकती हैं।

सभा को अंकुर पाण्डेय, अभिषेक सिंह, अभिषेक शुक्ला, बृजेश कुमार, प्रवीण कुमार, ब्रिज सोनकर, अनुराग, अरुण कुमार, रमेश कुमार, धनपाल सिंह, बृजेश यादव, योगेंद्र कुमार आदि ने संबोधित किया। कर्मचारियों ने सरकार से निजीकरण के फैसले पर पुनर्विचार की माँग की।

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Shiv murti

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