बिजलीकर्मियों ने किया बिजली निजीकरण का जोरदार विरोध प्रदर्शन
वाराणसी (जनवार्ता)। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के आह्वान पर आज बनारस के बिजली कर्मचारियों ने बिजली कार्यालयों पर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। कर्मचारियों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की कि उड़ीसा, आगरा, ग्रेटर नोएडा और हाल ही में चंडीगढ़ में बिजली के निजीकरण की विफलता को देखते हुए, पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण का निर्णय तत्काल निरस्त किया जाए।
संघर्ष समिति के नेताओं ने कहा कि चंडीगढ़ में 1 फरवरी 2025 को गोयनका की एमिनेंट पॉवर कंपनी लिमिटेड को बिजली विभाग सौंपा गया था, लेकिन मात्र छह माह के भीतर ही वहां बिजली आपूर्ति पूरी तरह पटरी से उतर चुकी है। उपभोक्ताओं को रोजाना 2 से 6 घंटे की कटौती झेलनी पड़ रही है और शिकायतों का समाधान करने वाला कोई नहीं है। समिति ने चंडीगढ़ की मेयर हरप्रीत कौर बाबला और रेजिडेंट वेलफेयर फेडरेशन के अध्यक्ष हितेश पुरी के बयानों का हवाला देते हुए कहा कि निजीकरण से आम उपभोक्ता सबसे ज्यादा पीड़ित हुए हैं।
नेताओं ने आरोप लगाया कि चंडीगढ़ में लगभग 22 हजार करोड़ रुपए की विद्युत परिसंपत्तियां मात्र 871 करोड़ रुपए में बेच दी गईं, जबकि रिजर्व प्राइस भी बेहद कम रखी गई थी। इसी तर्ज पर पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की एक लाख करोड़ रुपए की परिसंपत्तियों को बेचने हेतु सिर्फ 6500 करोड़ रुपए रिजर्व प्राइस तय किया गया है, जो सीधे तौर पर “लूट का दस्तावेज” है।
कर्मचारियों ने कहा कि उत्तर प्रदेश के 42 जनपदों में बिजली निजीकरण लागू करने से पहले सरकार को आगरा और ग्रेटर नोएडा के निजीकरण की समीक्षा करनी चाहिए। आगरा में टोरेंट पावर कंपनी पर 2200 करोड़ रुपए बिजली राजस्व हड़पने का आरोप है, जबकि ग्रेटर नोएडा में कंपनी के खराब प्रदर्शन के कारण खुद राज्य सरकार सर्वोच्च न्यायालय में निजीकरण करार रद्द कराने के लिए मुकदमा लड़ रही है।
विरोध सभा को ई. रामअशीष, अंकुर पाण्डेय, पंकज कुमार, अमित कुमार, मनोज यादव, रंजीत कुमार, धनपाल सिंह, अजय पाण्डेय, विनय कुमार, विकास भारती, अभिषेक सिंह और हेमंत श्रीवास्तव ने भी संबोधित किया।