प्रेमचंद जयंती : ‘मूठ’ पर आधारित नाटक का भव्य मंचन
भावपूर्ण प्रस्तुति ने दर्शकों को किया मंत्रमुग्ध
वाराणसी (जनवार्ता) । हिंदी साहित्य के महान कथाकार मुंशी प्रेमचंद की 145वीं जयंती के उपलक्ष्य में प्रेरणा कला मंच द्वारा उनकी प्रसिद्ध कहानी ‘मूठ’ पर आधारित एक सशक्त नाट्य मंचन का आयोजन किया गया। यह सांस्कृतिक समारोह लमही स्थित रामलीला मैदान में बड़े ही उत्साह और गरिमा के साथ संपन्न हुआ। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी, रंगकर्मी और स्थानीय नागरिकों ने भाग लेकर प्रेमचंद के विचारों को मंच पर जीवंत होते देखा।
नाटक ‘मूठ’ समाज में व्याप्त अंधविश्वास, ढोंग और पाखंड पर तीखा व्यंग्य करता है। इसमें दर्शाया गया कि किस प्रकार एक तथाकथित ‘सिद्ध’ व्यक्ति (बुद्धु) एक बीमार महिला को ठीक करने के नाम पर लोगों को धोखा देता है और पैसे ऐंठता है। दिलचस्प बात यह रही कि एक तर्कशील डॉक्टर भी इस अंधविश्वास का शिकार हो जाता है और अपनी पत्नी को बचाने की आस में ढोंगी के जाल में फंस जाता है। अंततः जब ढोंगी ठगी कर फरार हो जाता है, तब डॉक्टर को अपनी भूल का एहसास होता है और वह स्वीकार करता है कि उसे जीवन की सबसे बड़ी शिक्षा मिली है।
नाटक के मंचन के बाद दर्शकों ने कलाकारों के भावपूर्ण अभिनय की सराहना करते हुए तालियों की गड़गड़ाहट के साथ अपनी प्रतिक्रिया दी। मंचन के अवसर पर प्रेरणा कला मंच के निदेशक प्रवीण जोशी ने कहा, “प्रेमचंद केवल साहित्यकार नहीं, बल्कि समाज के सजग द्रष्टा थे। उनके पात्र आज भी हमारे आसपास मौजूद हैं। इस तरह के नाट्य मंचन युवाओं को उनकी सोच से जोड़ने का सशक्त माध्यम हैं।” उन्होंने यह भी बताया कि मंच वर्ष 1992 से प्रतिवर्ष प्रेमचंद जयंती पर उनके साहित्य पर आधारित नाटकों की प्रस्तुति करता आ रहा है।
नाटक ‘मूठ’ का रूपांतरण एवं निर्देशन वरिष्ठ नाट्यश्री मोतीलाल गुप्ता ने किया। सह-निर्देशन प्रवीण जोशी, विवेकानंद ब्रह्मचारी और अजीत गौरव ने किया, जिन्होंने प्रेमचंद की इस सामाजिक यथार्थ को प्रभावी मंचीय स्वरूप दिया।
मुख्य भूमिकाओं में प्रिंसी सेठ (अहिल्या), रागिनी विश्वकर्मा (माँ), अवंतिका भारद्वाज (धाय माँ), अजय पाल (बुद्धु), रंजीत कुमार (डॉक्टर), विजय प्रकाश (लड़का), गणेश गौतम (पिता), किशन कुमार (रघु), सुजीत गौरव (डाकिया) और अशोक पटेल (ग्रामीण) ने अपने सजीव अभिनय से पात्रों को जीवंत बना दिया।
नाटक के संगीत और गायन की जिम्मेदारी अजीत गौरव ने निभाई, जबकि वादन गौरीशंकर नागवंशी और सुजीत गौरव ने किया। रूप सज्जा सुजीत गौरव और रंजीत राज ने की। पारंपरिक लोकधुनों और विशेष मंच सज्जा ने नाटक को एक प्रभावशाली सांस्कृतिक प्रस्तुति में बदल दिया।
इस अवसर पर दयाकर पामिशेट्टी, राजेश श्रीवास्तव, रविकांत, मरियानुस, प्रमोद पटेल, अनिल कुमार, राजीव गोंड और बिंदु देवी सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।