काशी-तमिल संगमम : तमिलनाडु के छात्रों ने गंगा स्नान कर हनुमान घाट पर जाना दक्षिण भारतीय मंदिरों का गौरवशाली इतिहास
वाराणसी (जनवार्ता) । काशी-तमिल संगमम के तीसरे चरण के दूसरे दिन बुधवार को तमिलनाडु से आए सैकड़ों छात्रों ने हनुमान घाट पर पवित्र गंगा में डुबकी लगाकर सुख-समृद्धि और पुण्य की कामना की। गंगा स्नान के बाद छात्रों ने घाट पर स्थित प्राचीन दक्षिण भारतीय मंदिरों में दर्शन-पूजन किया तथा वहाँ के गौरवशाली इतिहास एवं दिव्यता के बारे में विस्तार से जाना।

छात्रों का दल सबसे पहले हनुमान घाट पहुंचा, जहाँ आचार्यों ने उन्हें गंगा के विभिन्न घाटों के ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्व के बारे में बताया। इसके बाद छात्र महाकवि सुब्रह्मण्य भारती के पैतृक निवास पहुंचे। वहाँ भारती जी के परिवार के सदस्यों से मुलाकात की और उनके घर के पास बने पुस्तकालय का भ्रमण किया। छात्रों ने महाकवि के जीवन और काशी से उनके गहरे जुड़ाव को जानने में गहरी रुचि दिखाई।
दल ने इसके बाद कांची कामकोटि पीठ के काशी स्थित मठ का भी भ्रमण किया और वहाँ के प्राचीन दक्षिण भारतीय मंदिरों को देखकर छात्र बेहद उत्साहित नजर आए।
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास से जुड़े पंडित वेंकट रमण घनपाठी ने बताया कि काशी और तमिलनाडु का रिश्ता सदियों पुराना है। हनुमान घाट, केदार घाट और हरिश्चंद्र घाट पर तो मानो एक मिनी तमिलनाडु बसा हुआ है। केवल हनुमान घाट पर ही 150 से अधिक तमिल परिवार सदियों से रह रहे हैं। इन गलियों में हर रोज काशी-तमिल संगमम होता है। यह संगमम कोई नया आयोजन नहीं, बल्कि हमारी प्राचीन सांस्कृतिक एकता का जीवंत प्रमाण है।
छात्रों ने कहा कि काशी आकर उन्हें लगा कि पूरा भारत एक परिवार है और काशी उस परिवार की ज्येष्ठ संतान है जो सभी को अपने आंचल में समेटे हुए है।

