माँ कूष्मांडा श्रृंगार एवं संगीत महोत्सव का शुभारंभ, भक्तिमय हुआ माहौल
वाराणसी। दुर्गाकुण्ड स्थित आदिशक्ति जगतजननी माँ कूष्मांडा दुर्गा मंदिर में सात दिवसीय वार्षिक श्रृंगार एवं संगीत समारोह का शुभारंभ बुधवार को वैदिक मंत्रोच्चार एवं वेदपाठ के साथ हुआ। जहाँ चारों वेदों के मंगलाचरण से प्रारंभ आयोजन में श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला।
समारोह का शुभारंभ शहनाई वादन से हुआ। जिसमें काशी के पं. जवाहरलाल एवं साथियों ने राग यमन, दादरा और सोहर की धुनों से वातावरण को संगीतमय कर दिया। इसके बाद दिल्ली से आए बाँसुरी वादक रितेश प्रसन्ना ने राग गोरख कल्याण प्रस्तुत किया। वही मुख्य आकर्षण पद्म भूषण पं. साजन मिश्र एवं उनके पुत्र स्वरांश मिश्र का शास्त्रीय गायन रहा। उन्होंने राग जोगकौंस और राग दुर्गा में मनोहारी प्रस्तुति दी तथा भजन के साथ समापन किया। संगत में तबले पर पं. अभिषेक मिश्रा, सारंगी पर विनायक सहाय और हारमोनियम पर सुमित मिश्रा रहे।
इस दौरान शाम को माँ कूष्मांडा का पट जैसे ही खुला, मंदिर प्रांगण जयकारों से गूंज उठा। महोत्सव के पहले दिन माँ का पंचामृत व पंचगव्य स्नान कराया गया। इसमें कोलकाता से आए गुलाब, बेला और कमल के पुष्पों से माँ का अलौकिक श्रृंगार हुआ। पंचमेवा की माला अर्पित कर हलवा, घुघरी सहित छप्पन भोग सजाया गया और रात्रि 8 बजे माँ की आरती में भक्त भावविभोर हो उठे।
मंदिर प्रांगण को विशेष रूप से फूल बंगले का स्वरूप दिया गया। जो कोलकाता से आए कारीगरों ने सम्पूर्ण परिसर को सजाया। जबकि बिजली की झालरों से मंदिर का शिखर जगमगाता रहा। भक्त कतारबद्ध होकर माँ की स्वर्णमयी प्रतिमा का दर्शन कर आत्मविभोर होते रहे।
इस अवसर पर आचार्यो का समादर मंदिर के महंत राजनाथ दुबे एवं पं. विश्वजीत दुबे ने किया एवं विराट आरती पं. किशन दुबे एवं श्रृंगार कौशलपति द्विवेदी ने किया। इस महोत्सव में आचार्य श्रीधर पाण्डेय, बलभद्र तिवारी ,संजय दुबे, विकास दुबे, प्रकाश दुबे सहित महन्त परिवार एवं आस्थावान उपस्थित रहे।