विद्युत कर्मचारियों का 295वें दिन निजीकरण के खिलाफ आंदोलन तेज
वाराणसी (जनवार्ता) : विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के बैनर तले बनारस के बिजली कर्मचारियों ने आज 295वें दिन भी सभी कार्यालयों पर निजीकरण के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। समिति ने आरोप लगाया कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के साथ-साथ कानपुर, मेरठ, अलीगढ़, बरेली और लखनऊ जैसे पांच शहरों की बिजली व्यवस्था के निजीकरण की तैयारी चल रही है।


संघर्ष समिति के केंद्रीय पदाधिकारियों ने बताया कि पावर कॉरपोरेशन ने निजीकरण के लिए आरएफपी दस्तावेज तैयार कर लिया है और इसे जल्द ही विद्युत नियामक आयोग के समक्ष अनुमोदन के लिए प्रस्तुत किया जा सकता है। समिति ने आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार से अपील की है कि निजी कृत आरएफपी को अस्वीकार किया जाए या कम से कम इस पर चर्चा से पहले कर्मचारी प्रतिनिधियों से बातचीत की जाए। उनका कहना है कि निजीकरण से बिजली कर्मचारियों का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा।
संघर्ष समिति ने पावर कॉरपोरेशन के अध्यक्ष डॉ. आशीष गोयल पर भी निशाना साधा, जिन्हें ऑल इंडिया डिस्कॉम एसोसिएशन के महामंत्री के रूप में अधिक सक्रिय बताया गया। समिति ने दावा किया कि गोयल ने एसोसिएशन की वेबसाइट पर पूर्वांचल और दक्षिणांचल निगमों के निजीकरण के साथ-साथ पांच शहरों की वर्टिकल रिस्ट्रक्चरिंग को अपनी उपलब्धि के रूप में उल्लेख किया है, जो इन शहरों के निजीकरण की मंशा को स्पष्ट करता है।
समिति ने तर्क दिया कि बेंगलुरु, पुणे, हैदराबाद, गुड़गांव जैसे शहरों में बिजली व्यवस्था में सुधार सरकारी क्षेत्र में ही किए गए हैं, बिना किसी वर्टिकल रिस्ट्रक्चरिंग जैसे कदम के। प्रदर्शन में अभिषेक कुमार, अंकुर पाण्डेय, सतवंत कुमार, मिथिलेश कुमार, अनुनय पाण्डेय, योगेश कुमार सहित कई नेताओं ने सभा को संबोधित किया और आंदोलन को और तेज करने का आह्वान किया।

