बनारस में बिजली कर्मियों का 302वें दिन निजीकरण के खिलाफ आंदोलन तेज
वाराणसी (जनवार्ता) : विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के बैनर तले बनारस के बिजली कर्मियों ने गुरुवार को 302वें दिन बिजली के निजीकरण के विरोध में जोरदार प्रदर्शन किया। कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि ऑल इंडिया डिस्कॉम एसोसिएशन के माध्यम से निजी घरानों के साथ सांठगांठ की जा रही है, जिसके खिलाफ वे विगत 302 दिनों से संघर्षरत हैं।


प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि दशहरा और दीपावली के त्योहारों से पहले बिजली कर्मियों पर की जा रही उत्पीड़नात्मक कार्रवाइयां तत्काल वापस ली जाएं और रेल कर्मियों की तरह उन्हें भी 78 दिन का बोनस दिया जाए। संघर्ष समिति ने कहा कि बिजली कर्मी 24 घंटे जनता की सेवा में तत्पर रहते हैं, फिर भी उनकी उपेक्षा की जा रही है।

केंद्रीय पदाधिकारियों ने बताया कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण की प्रक्रिया से ऊर्जा निगमों में कार्य का माहौल बिगड़ गया है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की कि बिजली कर्मियों ने महाकुंभ में अद्भुत बिजली आपूर्ति और भीषण गर्मी में निर्बाध बिजली व्यवस्था सुनिश्चित कर उत्तर प्रदेश का मान बढ़ाया है। ऐसे में निजीकरण का निर्णय तत्काल निरस्त कर कार्य का स्वस्थ वातावरण सुनिश्चित किया जाए।
संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि पावर कॉरपोरेशन के कुछ उच्च अधिकारी और शासन के अधिकारी निजी घरानों के साथ मिलकर प्रदेश के 42 जनपदों का निजीकरण करने पर तुले हैं। सभा को विजय सिंह, अंकुर पाण्डेय, हेमंत श्रीवास्तव, अभिषेक सिंह, अभिषेक शुक्ला, चंद्रशेखर सिंह, नवीन कुमार, पंकज यादव, एस.के. सरोज, प्रवीण कुमार, देवेंद्र सिंह, नागेंद्र कुमार, सुशांत सिंह, धर्मेंद्र यादव, बृजेश यादव, रमेश यादव, रमेश सिंह आदि ने संबोधित किया।

