नाटी इमली भारत मिलाप: तेज बारिश में भी अटूट रही श्रद्धा, चारों भाइयों के मिलन पर गूंजा ‘जय श्रीराम’

नाटी इमली भारत मिलाप: तेज बारिश में भी अटूट रही श्रद्धा, चारों भाइयों के मिलन पर गूंजा ‘जय श्रीराम’

वाराणसी (जनवार्ता): वाराणसी के प्रसिद्ध लक्खा मेलों में से एक नाटी इमली भारत मिलाप का आयोजन इस बार भी भव्यता के साथ संपन्न हुआ। तेज बारिश भी श्रद्धालुओं के उत्साह और आस्था को कम न कर सकी। हजारों लोग इस पौराणिक लीला को देखने के लिए छाता लेकर मैदान में डटे रहे। जैसे ही भगवान राम और लक्ष्मण रथ पर सवार होकर पहुंचे, उनके स्वागत में भारत और शत्रुघ्न जमीन पर लेट गए। यह मार्मिक दृश्य देखकर उपस्थित लोगों की आंखें नम हो गईं। इसके बाद राम-लक्ष्मण ने दोनों भाइयों को उठाकर गले लगाया, और पूरा मैदान “जय श्रीराम” के नारों से गूंज उठा।

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यादव बंधुओं ने उठाया पुष्पक विमान
परंपरागत रूप से यादव बंधु धोती-बनियान, आंखों में सुरमा और सिर पर पगड़ी सजाकर पहुंचे। उन्होंने 5 टन वजनी पुष्पक विमान को कंधों पर उठाकर लीला स्थल तक पहुंचाया। इस ऐतिहासिक परंपरा को देखने के लिए हजारों श्रद्धालु मौजूद थे। सुरक्षा के लिए कड़े इंतजाम किए गए थे, जिसमें वाहनों के प्रवेश पर रोक और ड्रोन कैमरों से निगरानी शामिल थी।

481 साल पुरानी परंपरा
इस भारत मिलाप का इतिहास करीब 481 साल पुराना है। मान्यता है कि तुलसीदास के समकालीन मेघा भगत को भगवान राम ने इसी स्थल पर दर्शन दिए थे। तुलसीदास के देहत्याग के बाद मेघा भगत को स्वप्न में इस परंपरा को शुरू करने की प्रेरणा मिली। तब से यह आयोजन हर साल होता आ रहा है, जो अब भारत के साथ-साथ विदेशों में भी प्रसिद्ध है।

महाराजा का आशीर्वाद 
इस अवसर पर महाराजा आनंत विभूति नारायण ने भगवान श्रीराम को चांदी की गिन्नी भेंट की और आशीर्वाद प्राप्त किया। यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि वाराणसी की सांस्कृतिक विरासत को भी दर्शाता है।

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Shiv murti

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