नेपाल की राजनीतिक उथल-पुथल भारत के लिए चेतावनी: डॉ अशोक सिंह
चीन की बढ़ती दखलंदाजी और खुफिया तंत्र की नाकामी पर उठाए सवाल
वाराणसी(जनवार्ता)।प्रमुख समाजसेवी व जीवनदीप समूह के अध्यक्ष डॉ. अशोक सिंह ने नेपाल की मौजूदा स्थिति को भारत और नेपाल दोनों के लिए दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के समय ही नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता शुरू हो गई थी, जिस पर भारत सरकार ने समय रहते गंभीरता से ध्यान नहीं दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि चीन ने प्रचंड के नेतृत्व में कम्युनिस्टों के जरिए सत्ता परिवर्तन करा लिया।
डॉ. सिंह ने कहा कि राजा बीरेन्द्र और उनके पूरे परिवार का नरसंहार भारत की खुफिया एजेंसियों की बड़ी नाकामी थी। सत्ता के लालच में राजा ज्ञानेंद्र को कठपुतली बनाया गया, जिससे नेपाल का हिंदू राष्ट्र का दर्जा भी समाप्त हो गया। इसके बाद विभिन्न राजनीतिक गुटों की सत्ता की लालसा ने नेपाल को कई टुकड़ों में बांट दिया।
चीन के इशारे पर चल रही नेपाल सरकार:
डॉ. अशोक का कहना है कि मौजूदा प्रधानमंत्री भी चीन के दबाव में कार्य कर रहे हैं। भारत-नेपाल की खुली सीमा न केवल सुरक्षा की चुनौती है, बल्कि नकली नोट और हथियारों की तस्करी का भी बड़ा मार्ग बन चुकी है।
यूपी बॉर्डर से लेकर कश्मीर तक आतंकियों की साजिश:
उन्होंने आरोप लगाया कि सपा और बसपा सरकारों के समय मुस्लिम समुदाय को राजनीतिक लाभ देने के नाम पर यूपी-नेपाल बॉर्डर पर मदरसों और मस्जिदों की संख्या तेजी से बढ़ी, जो बाद में अवैध गतिविधियों की शरणस्थली बन गईं। मिर्जाबेग, सीवान, गाजीपुर, बनारस, इलाहाबाद और मुरादाबाद होते हुए यह नेटवर्क हरियाणा-पंजाब के रास्ते कश्मीर और पाकिस्तान तक आतंकियों से जुड़ गया।
हालांकि, योगी आदित्यनाथ सरकार के आने के बाद इस नेटवर्क को काफी हद तक तोड़ दिया गया।
:मज़बूत केंद्र सरकार की ज़रूरत
डॉ. अशोक सिंह ने कहा कि आज भारत के चारों तरफ दुश्मन ताकतें सक्रिय हैं। ऐसे समय में भारत को सामरिक रूप से और मज़बूत होने की आवश्यकता है। इसके लिए केंद्र में एक स्थिर और मज़बूत सरकार ही समाधान हो सकती है।
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