“मनु शर्मा की जयंती पर ‘अग्निरथ का सारथी’- एक युगदृष्टा को नमन”

“मनु शर्मा की जयंती पर ‘अग्निरथ का सारथी’- एक युगदृष्टा को नमन”

मनु शर्मा जयंती पर रुद्राक्ष में साहित्य-संगीत का संगम, हुसैन बंधुओं ने बाँधा समा,साहित्य जगत ने दी श्रद्धांजलि

rajeshswari

वाराणसी(जनवार्ता)
प्रख्यात साहित्यकार और पौराणिक उपन्यासों के पुरोधा पद्मश्री मनु शर्मा की जयंती के अवसर पर मंगलवार की संध्या रुद्राक्ष इंटरनेशनल सेंटर, सिगरा में साहित्य और संगीत का अद्भुत संगम देखने को मिला। इस अवसर पर प्रसिद्ध लेखक डॉ. इंदीवर की सद्यः प्रकाशित पुस्तक “अग्निरथ का सारथी” का लोकार्पण किया गया। पुस्तक का प्रकाशन प्रभात प्रकाशन ने किया ।


कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाने पहुंचे अतिथि


कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे भारत सरकार के केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री माननीय श्री गजेंद्र सिंह शेखावत, जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में असम के राज्यपाल माननीय श्री लक्ष्मण आचार्य और केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री प्रो. एस.पी. सिंह बघेल उपस्थित रहे।
पुस्तक का लोकार्पण प्रख्यात कथावाचक पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (बागेश्वर धाम) के करकमलों से हुआ। पं. शास्त्री ने अपने उद्बोधन में कहा कि “मनु शर्मा जी के लेखन में भारतीय संस्कृति की जड़ों की गहराई झलकती है। उनके पात्र भारतीय समाज और अध्यात्म की जीवंत परंपरा के प्रतीक हैं।”

साहित्यिक प्रेरणा के प्रतीक रहे मनु शर्मा –

कार्यक्रम में वक्ताओं ने मनु शर्मा के साहित्यिक योगदान को याद किया।
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा, “मनु शर्मा ने न केवल पुराणों को आधुनिक भाषा में जीवंत किया बल्कि भारतीय मानस को नए रूप में परिभाषित किया। उनकी ‘कृष्ण की आत्मकथा’ भारतीय साहित्य का अनुपम ग्रंथ है।”
राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य ने उन्हें “काशी की सांस्कृतिक चेतना का संवाहक” बताया। वहीं प्रो. एस.पी. सिंह बघेल ने कहा कि “उनकी रचनाएँ भारतीय समाज के भीतर की नैतिकता और संघर्ष का दस्तावेज हैं।”
डॉ. इंदीवर, जिन्होंने यह पुस्तक लिखी है, ने कहा, “मनु शर्मा न केवल कथाकार थे, बल्कि वह एक युगदृष्टा थे। इस पुस्तक में उनके व्यक्तित्व और रचना-दर्शन की झलक प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है।”
संगीत की मधुर संध्या
कार्यक्रम का विशेष आकर्षण रहा पद्मश्री उस्ताद अहमद हुसैन और पद्मश्री उस्ताद मोहम्मद हुसैन का गायन।
हुसैन बंधुओं ने भजन, ग़ज़ल और गीतों के माध्यम से ऐसा वातावरण बनाया कि सभागार देर तक संगीत की लहरों में डूबा रहा।

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मनु शर्मा : रचना और सम्मान-


पद्मश्री मनु शर्मा का जन्म 1927 में अकबरपुर (फैजाबाद) में हुआ था। उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की। उनके साहित्यिक जीवन में ‘कृष्ण की आत्मकथा’, ‘द्रौपदी की आत्मकथा’, ‘राणा सांगा’, ‘छत्रपति’, ‘लक्ष्मणरेखा’ जैसी कालजयी कृतियाँ शामिल हैं।
उन्हें ‘पद्मश्री’, ‘यश भारती’, ‘लोहिया साहित्य सम्मान’, ‘सुब्रह्मण्यम भारती पुरस्कार’ और ‘मैथिलीशरण गुप्त सम्मान’ सहित अनेक अलंकरणों से सम्मानित किया गया था।
बॉक्स में
देश के जाने-माने पत्रकार व साहित्यकार तथा स्वर्गीय मनु शर्मा के पुत्र हेमंत शर्मा कहते हैं।यह आयोजन केवल पुस्तक विमोचन नहीं, बल्कि साहित्य, संगीत और संस्कृति का उत्सव था। एक ऐसी परंपरा जिसमें मनु शर्मा जैसे रचनाकारों की आत्मा आज भी सजीव प्रतीत होती है।
इस अवसर पर प्रमुख रूप से उत्तर प्रदेश सरकार के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक, प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री रविंद्र जायसवाल, राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार दयाशंकर मिश्र दयालु,अपना दल के राष्ट्रीय सचिव मनीष सिंह, महापौर अशोक तिवारी, पूर्व महापौर रामगोपाल मोहले,पद्मश्री राजेश्वर आचार्य, पद्म विभूषण आचार्य देवी प्रसाद द्विवेदी सहित अनेक मुर्धन विद्वान व साहित्यकार सम्मिलित हुए।


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Shiv murti

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