बनारस में बिजली कर्मचारियों का 293वें दिन भी निजीकरण के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन
वाराणसी (जनवार्ता): विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के बैनर तले बनारस सहित प्रदेश भर के बिजली कर्मचारियों ने पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के खिलाफ 293वें दिन भी व्यापक विरोध प्रदर्शन किया। कर्मचारियों ने संकल्प लिया कि जब तक निजीकरण का फैसला निरस्त नहीं होता और उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियां वापस नहीं ली जातीं, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
संघर्ष समिति ने प्रबंध निदेशक, पूर्वांचल निगम को पत्र सौंपा, लेकिन अध्यक्ष, पावर कॉरपोरेशन की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के कारण आज बैठक स्थगित हो गई। अब गुरुवार को प्रबंध निदेशक के साथ कर्मचारियों की समस्याओं पर चर्चा होगी।
वक्ताओं ने बताया कि दिल्ली में केंद्रीय ऊर्जा मंत्री की अध्यक्षता में हुई ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की बैठक में उत्तर प्रदेश की बिजली व्यवस्था में अप्रत्याशित सुधार और तकनीकी-वाणिज्यिक हानियों में कमी की सराहना की गई। प्रदेश के ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने भी सोशल मीडिया पर इसकी पुष्टि की। इसके बावजूद, पावर कॉरपोरेशन घाटे का हवाला देकर निजीकरण को बढ़ावा दे रहा है।
संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की कि आगरा और ग्रेटर नोएडा में निजीकरण की विफलता और अन्य राज्यों में हुए घोटालों को देखते हुए पूर्वांचल और दक्षिणांचल के निजीकरण की प्रक्रिया तत्काल रद्द की जाए। समिति ने आगरा फ्रेंचाइजी करार को भी रद्द करने की मांग की, जिससे पावर कॉरपोरेशन को प्रतिवर्ष 1000 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। साथ ही, गलत आंकड़ों के आधार पर टोरेंट पावर को सस्ती दरों पर बिजली देने से 14 वर्षों में 3432 करोड़ रुपये की हानि हुई है।
संघर्ष समिति ने बिजली कर्मचारियों को तीन माह तक वेतन न दिए जाने और संविदा कर्मियों को बड़े पैमाने पर हटाए जाने को अमानवीय और उत्पीड़नात्मक बताया, जिससे बिजली व्यवस्था पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। कर्मचारियों में उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियों के खिलाफ भारी आक्रोश है।
सभा को ई. राजेंद्र सिंह, मायाशंकर तिवारी, ई. एस. के. सिंह, ई. अभिषेक कुमार, अंकुर पांडेय, हेमंत श्रीवास्तव, चंद्रशेखर कुमार, गुलशन कुमार, मनोज यादव, अरुण कुमार, मो. आशिफ, मिथिलेश कुमार, कौशलेंद्र, विनोद कुमार, अनुनय पांडेय, योगेश कुमार आदि ने संबोधित किया।
**संघर्ष समिति की मांग**:
– निजीकरण की प्रक्रिया तत्काल रद्द हो।
– आगरा फ्रेंचाइजी करार समाप्त हो।
– कर्मचारियों के उत्पीड़न और वेतन रोकने की कार्रवाई वापस ली जाए।
– संविदा कर्मियों की छंटनी रोकी जाए।
बिजली कर्मचारियों ने चेतावनी दी कि मांगें न माने जाने पर आंदोलन और तेज किया जाएगा।