बिजली कर्मियों का निजीकरण विरोध लगातार 397वें दिन भी जारी
वाराणसी (जनवार्ता) : पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में तथा आंदोलन के दौरान प्रबंधन द्वारा की गई उत्पीड़नात्मक कार्रवाइयों और बिजली कर्मचारियों के निवासों पर जबरन स्मार्ट मीटर लगाने के खिलाफ बिजली कर्मियों का प्रदेशव्यापी आंदोलन सोमवार को लगातार 397वें दिन भी जारी रहा। बनारस में भी कर्मचारियों ने सिगरा स्थित अधीक्षण अभियंता कार्यालय पर जोरदार प्रदर्शन किया और आगामी 1 जनवरी को बड़े पैमाने पर विरोध दिवस मनाने की तैयारी की।


विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले चल रहे इस आंदोलन में वक्ताओं ने कहा कि उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन ने बिजनेस प्लान के तहत पूर्वांचल के लिए 824.65 करोड़ रुपये और दक्षिणांचल के लिए 819 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं। इन निगमों में सुधार के लिए कुल 16.43 अरब रुपये खर्च करने के बाद इन्हें निजी हाथों में सौंपना स्वीकार्य नहीं है।
इसके अलावा, भारत सरकार की रिवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस) के तहत दोनों निगमों में नए उपकेंद्रों के निर्माण और मौजूदा की मरम्मत-नवीनीकरण के लिए 7089 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए हैं, जिसमें पूर्वांचल के लिए 3842 करोड़ और दक्षिणांचल के लिए 3247 करोड़ रुपये शामिल हैं। कुल मिलाकर दोनों योजनाओं में 8732 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं।
संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि निजीकरण के लिए तैयार आरएफपी दस्तावेज में दोनों निगमों की रिजर्व प्राइस मात्र 6500 करोड़ रुपये रखी गई है, जबकि इनकी परिसंपत्तियों का मूल्य करीब एक लाख करोड़ रुपये है। सरकारी धन से सुधार कर निगमों को कौड़ियों के मोल बेचना बड़ा भ्रष्टाचार है।
सभा को ई. मायाशंकर तिवारी, राजेंद्र सिंह, ई. अवधेश मिश्रा, मनोज जैसवाल, हेमंत श्रीवास्तव, अभिषेक सिंह, चंद्रशेखर कुमार, राजेश सिंह सहित कई नेताओं ने संबोधित किया। कर्मचारियों ने निजीकरण रद्द करने और उत्पीड़नात्मक कार्रवाइयां बंद करने की मांग दोहराई।

