हिन्दी भाषा का प्रसार क्रम अन्य भाषाओं के सीखने से ही संभव है: प्रोफेसर त्रिवेदी

हिन्दी भाषा का प्रसार क्रम अन्य भाषाओं के सीखने से ही संभव है: प्रोफेसर त्रिवेदी

हिन्दी पखवाड़ा के अंतर्गत आज बहस-ए-बनारस सभागार कक्ष, कार्यालय पोस्टमास्टर जनरल, वाराणसी परिक्षेत्र में हिन्दी प्रसार के लिए आयोजित व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कर्नल विनोद कुमार, पोस्टमास्टर जनरल, वाराणसी परिक्षेत्र ने की।

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इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रोफेसर गजेन्द्र नाथ त्रिवेदी की गरिमामय उपस्थिति रही। उन्हें अंगवस्त्र और पुस्तक भेंट कर हिन्दी कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। प्रो. त्रिवेदी दिल्ली विश्वविद्यालय मोतीलाल नेहरू कॉलेज में राजनीति विज्ञान के प्राचार्य के पद पर चालीस वर्ष तक कार्यरत रहे हैं और वर्तमान में दिल्ली विश्वविद्यालय के जामिया मिलिया कॉलेज के विजिटिंग प्रोफ़ेसर हैं। उन्होंने राजनीति शास्त्र पर तीन पुस्तकें प्रकाशित कराई हैं जिनमें पॉलिटिक्स ऑफ़ सोशल चेंज : ए फील्ड व्यू फ्रॉम बिहार और मॉडर्न पोलिटिकल फिलोसफी शामिल हैं: डॉ त्रिवेदी ने अमरीका, हंगरी और हांगकाग जैसे देशों में भी अपनी विद्वता को प्रदर्शित kar देश का नाम रोशन किया है।

प्रो. त्रिवेदी ने अपने संबोधन में हिन्दी भाषा को बढ़ावा देने और इसके अधिकाधिक प्रयोग पर बल दिया। उन्होंने बताया कि दुनिया के अनेक देशों में लेक्चर देने के लिए जाने पर यह महसूस हुआ है कि विश्व के ज्यादातर देशों में अपनी भाषा को लेकर काफ़ी जागरूकता और भावानात्मक लगाव है और हिंदी भाषा के विकास के लिए भी बहुत आवश्यक है कि हम सभी देशवासियों को अपनी मातृभाषा में अपनी राय देने में गर्व महसूस हो। उन्होंने आगे बताया कि भारत में हिंदी संपर्क के माध्यम के लिए एक शक्त भाषा है और हम सभी को अन्य भाषाओं को सीखने के लिये प्रोत्साहित करते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित करने वाले विद्वान भी अपनी मातृभूमि के प्रति समर्पण और सम्मान के लिए अपनी मातृ भाषा में अपनी आवाज़ बुलंद करते रहे हैं।

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अध्यक्षीय उद्बोधन में कर्नल विनोद कुमार ने कहा कि हिन्दी हमारी मातृभाषा है और सरकारी कामकाज में इसके प्रयोग को बढ़ाना समय की मांग है। उन्होंने कार्यालय के समस्त अधिकारियों और कर्मचारियों से आग्रह किया कि वे आज से ही अपने हस्ताक्षर हिन्दी में करें तथा अधिक से अधिक कार्य हिन्दी भाषा में संपादित करें।

कार्यक्रम में बड़ी संख्या में अधिकारीगण एवं कर्मचारी उपस्थित रहे और हिन्दी के प्रयोग को प्रोत्साहित करने का संकल्प लिया।

Shiv murti

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