बाबा आँगन पधारो | भक्ति और प्रेम से प्रभु को घर में आमंत्रण
बाबा आँगन पधारो भक्त की उस निश्छल भावना को व्यक्त करता है जिसमें वह कहता है — “हे बाबा, मेरे घर में, मेरे मन में आपका स्वागत है।” यह भाव हमें याद दिलाता है कि जब हम अपने आराध्य को सच्चे मन से बुलाते हैं, तो वे अवश्य आते हैं। चाहे परिस्थितियाँ कैसी भी हों, भक्ति का द्वार हमेशा खुला रहता है। यह वाक्य हमें भीतर से पवित्र और शांत बनाता है, और ईश्वर के प्रति समर्पण को गहराई देता है।

बाबा आँगन पधारो , दरबार सजायो थारो ,
करूँ विनती मैं बारम्बार,
म्हाने दर्शन दयो एक बार. . . .
जोत जगाई बैठया म्हे थारी,
बेगा पधारो हे अवतारी॥
थारो नाम धजा बन्द धारी ,
थारी महीमा है नयारी,
करा बैठया म्हे थारी मन वार
म्हाने दर्शन दयो एक बार. . . .
फ़ुला सेज थारी सजाई,
भादुडे री दुज है आईं ॥
आओ आओ हे अवतारी,
आँगन भीड़ लागी है भारी,
बाबा भगता री सुन लयो पुकार,.
म्हाने दर्शन दयो एक बार. . . .
घोड़लीय चड बेगा आओ,
भगता नै बाबा दर्श दिखाओ ॥
थारो “आदिवाल” है गावै ,
महिमा भगता ने सुनावै ,
करो सगला रो बेड़ो पार. . . .
म्हाने दर्शन दयो एक बार.
भाव से पूजन विधि
- दिन: गुरुवार या मंगलवार का दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
- स्थान: घर के मंदिर या स्वच्छ स्थान को सजाएँ — फूलों और दीपक से।
- सामग्री: फूल, अगरबत्ती, दीपक, चंदन, और प्रसाद (फल या मिठाई)।
- प्रारंभ: “ॐ श्री साईं नमः” या अपने आराध्य बाबा का नाम 11 बार जपें।
- पूजन: बाबा की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएँ और कहें — “हे बाबा, मेरे आँगन में पधारो, मेरे जीवन को अपनी कृपा से भर दो।”
- आरती करें: श्रद्धा से बाबा की आरती करें और अपने परिवार की सुख-शांति की कामना करें।
- समापन: प्रसाद बाँटें और कुछ समय शांत भाव से बाबा का ध्यान करें।
भाव से मिलने वाले लाभ
- घर में सकारात्मक ऊर्जा और शांति का संचार होता है।
- परिवार के बीच प्रेम और एकता बढ़ती है।
- कठिनाइयों से मुक्ति और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
- ईश्वर के प्रति आस्था और भक्ति गहरी होती है।
- जीवन में संतुलन और सुख-समृद्धि का विस्तार होता है।
निष्कर्ष
“बाबा आँगन पधारो” केवल एक प्रार्थना नहीं, बल्कि एक भावनात्मक आमंत्रण है — कि प्रभु हमारे घर ही नहीं, हमारे हृदय में भी निवास करें। जब हम उन्हें सच्चे प्रेम से बुलाते हैं, तो उनकी कृपा हमारे जीवन में स्वतः उतरती है। यह भाव हमें नम्रता, आभार और संतोष का पाठ सिखाता है। सच्चा भक्त वही है जो हर क्षण अपने बाबा की उपस्थिति को महसूस करे। जब बाबा हमारे आँगन में आते हैं, तब हर कोना प्रेम, शांति और आशीर्वाद से भर जाता है।

