बूटी ला दे रे बालाजी | आरोग्य, साहस और श्रद्धा का संदेश
“बूटी ला दे रे बालाजी” — यह पंक्ति हमें उस समय की याद दिलाती है जब भगवान हनुमान जी संजीवनी बूटी लेकर लक्ष्मण जी का जीवन बचाते हैं। यह केवल एक कथा नहीं, बल्कि विश्वास की गहराई है कि जब भी भक्त संकट में होता है, हनुमान जी सदैव उसकी सहायता करते हैं। “बूटी” यहाँ केवल औषधि नहीं, बल्कि आशा, ऊर्जा और आस्था का प्रतीक है। जो व्यक्ति श्रद्धा से बालाजी का स्मरण करता है, उसके जीवन की हर कठिनाई दूर हो जाती है और मन में नवजीवन की अनुभूति होती है।

बूटी ला दे रे बालाजी, बूटी ला दे रे,
कहे ये राम पुकार,
ओ मेरे पवनकुमार,
लखन के प्राण बचा ले रे,
बुटी ला दे रे बालाजी, बूटी ला दे रे……
असुरो ने इसे शक्ति लगाई,
मेरे लखन ने सुध बिसराई,
देखो ये कैसे सोया है,
मेरा सब कुछ ही खोया है,
संजीवन बूटी जो आए,
मेरा लखन जीवित हो जाए,
बुटी ला दे रे……..
ना इनका ना मेरे बस का,
काम है ये बस तेरे बस का,
जा जल्दी जा बूटी तू ले आ,
देर कहीं ना हो जाए ज्यादा,
बुटी ला दे रे, बुटी ला दे रे बालाजी,
बुटी ला दे रे……..
पहले वन में खोई नारी,
अब मुश्किल भाई पे भारी,
अवधपुरी कैसे जाऊंगा,
माँ को क्या मुंह दिखलाऊंगा,
लक्ष्मण है इकलौता बेटा,
सुधबुध खोकर ये है लेटा,
ओ बालाजी संकट टारो,
संकट मोचन नाम तिहारो,
द्रोणागिरी पर्वत पर जाओ,
संजीवन को ढूंढ के लाओ,
देखो ना ज्यादा देर लगाना,
भोर से पहले वापस आना,
बुटी ला दे रे, बुटी ला दे रे बालाजी,
बुटी ला दे रे ……
इतना सुनकर बजरंग बाला,
शीश नवाकर हो मतवाला,
उड़ गया ऊँचे अम्बर में वो,
ओझल हो गया नजरों से वो,
द्रोणगिरी पर वो जा पंहुचा,
माया रच दी असुरो ने वहाँ….
जब बूटी ना मिली हनुमत को,
ढूंढ ढूंढ के झुंझला गया वो,
कब पूरा पर्वत ही उठाया,
और अयोध्या पर जब आया,
तीर चलाया वीर भरत ने,
राम नाम बोला हनुमत ने,
धरती पर जब गिरे हनुमंता…….
वीर भरत को हो गई चिंता,
हनुमत ने सब हाल सुनाया,
सुन के भरत ने शीघ्र पठाया,
सूर्योदय से पहले बेखबर,
जोर जोर से बोले वानर,
बुटी ला दे रे, बुटी लाए रे बालाजी,
बुटी लाए रे…..
भक्ति भाव से करने की विधि
- दिन और समय: मंगलवार या शनिवार को प्रातःकाल बालाजी मंदिर या घर में पूजा करें।
- पूजन सामग्री: लाल फूल, दीपक, सिंदूर, चोला और गुड़-चना अर्पित करें।
- प्रारंभ: तीन बार “जय बालाजी महाराज की” बोलें और मन को शांत करें।
- भजन या जप: श्रद्धा से “बूटी ला दे रे बालाजी” पंक्ति का स्मरण करें या भजन गाएँ।
- भावना रखें: यह महसूस करें कि बालाजी आपके जीवन की हर पीड़ा मिटाकर शक्ति और स्वास्थ्य प्रदान कर रहे हैं।
- समापन: अंत में प्रार्थना करें — “हे बालाजी महाराज, मेरे जीवन में भी अपनी कृपा की बूटी बरसाते रहना।”
इस भक्ति भाव से मिलने वाले लाभ
- रोगों से मुक्ति: मानसिक और शारीरिक रूप से आरोग्य की प्राप्ति होती है।
- साहस और विश्वास: भय और चिंता समाप्त होकर आत्मबल बढ़ता है।
- संकट निवारण: जीवन की अड़चनें और नकारात्मकता दूर होती है।
- भक्ति में स्थिरता: मन हर समय ईश्वर-स्मरण में रहता है।
- सकारात्मक ऊर्जा: घर में शांति, प्रेम और समृद्धि का वातावरण बनता है।
निष्कर्ष
“बूटी ला दे रे बालाजी” केवल एक भजन की पंक्ति नहीं, बल्कि ईश्वर से की गई आत्मिक प्रार्थना है। यह हमें सिखाती है कि जब जीवन में निराशा और कठिनाई हो, तब भक्ति ही वह संजीवनी बूटी है जो हमें फिर से खड़ा करती है। बालाजी की कृपा से हर रोग, भय और दुःख मिट जाता है और मन में नई ऊर्जा का संचार होता है। जिस हृदय में हनुमान जी बसते हैं, वहाँ कमजोरी नहीं, केवल साहस और विश्वास का प्रकाश रहता है।

