चिन्तापुरनी मां ने मैनू मौज लायी ए
“चिन्तापुरनी मां ने मैनू मौज लायी ए” — यह पंक्ति उस आनंद और राहत को व्यक्त करती है जो मां चिंतापुरणी की कृपा से मिलती है। जब कोई भक्त जीवन की चिंताओं, परेशानियों और दुखों से घिर जाता है, तब मां अपनी ममता से उसका भार हल्का कर देती हैं। यह पंक्ति उसी अनुभूति की आवाज है जहाँ भक्त महसूस करता है कि मां ने उसकी चिंता हर ली और जीवन में सुख-शांति भर दी। मां चिंतापुरणी की कृपा से मन में नई उम्मीद और खुशी का प्रकाश जग जाता है।

चिंतापुरनी मां ने मैनू मौज लायी ए,
जी लायी लायी लायी, मैनू मौज लायी ए,
कदे कदे नयीं हर रोज लायी ए,
चिंतापुरनी मां ने मैनू मौज लायी ए……..
सुखां वाली कर दिती छां महरानी ने,
चरना च दिती मैनू थां कल्याणी ने,
रहमतां दी खैर मेरी झोली पाई ए,
चिंतापुरनी मां ने मैनू मौज लायी ए…..
आसरा ए मां दा होर कोई वी सहारा ना,
अम्बे दर बाजों होर किते वी गुजारा ना,
खुशियां दी मेरे लयी मां झड़ी लायी ए,
चिंतापुरनी मां ने मैनू मौज लायी ए…..
राजू हरिपुरीया वी मां दे दर औन्दा ए,
शैली सिंह मईया दर हाजरीयां लौंदा ए,
जिन्दगी ए सारी मां दे लेखे लायी ए,
चिंतापुरनी मां ने मैनू मौज लायी ए…..
“मां चिंतापुरणी” की भक्ति-विधि
- समय: नवरात्रि, सोमवार या शुक्रवार विशेष शुभ माने जाते हैं।
- स्थान: घर के मंदिर में या मां की तस्वीर के सामने दीपक जलाएँ।
- सामग्री: लाल फूल, चुनरी, नारियल, मिठाई, धूप, दिया।
- प्रारंभ: माँ का नाम लेते हुए तीन बार गहरी सांस लेकर मन को शांत करें।
- भक्ति:
इस पंक्ति को श्रद्धा से बोलें —
“चिन्तापुरनी मां ने मैनू मौज लायी ए।”
चाहें तो मां का चालीसा, आरती या मंत्र जप भी करें। - समापन: माँ से प्रार्थना करें —
“हे मां, मेरी चिंताओं को हर लो और जीवन में शांति भर दो।”
मां चिंतापुरणी की भक्ति से मिलने वाले लाभ
- मन की चिंता और तनाव दूर होता है।
- घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
- नकारात्मक ऊर्जा हटती है और सकारात्मकता बढ़ती है।
- कामों में सफलता और बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
- मन में आनंद, विश्वास और संतुलन का भाव बढ़ता है।
निष्कर्ष
“चिन्तापुरनी मां ने मैनू मौज लायी ए” — यह पंक्ति भक्त के उस सच्चे अनुभव का प्रतीक है जहाँ मां अपनी संतानों की चिंता दूर करके उन्हें आनंद और सुरक्षा देती है। मां की कृपा जब बरसती है, तो मन के अंधेरे छंट जाते हैं और जीवन में नई रोशनी फैल जाती है। चिन्तापुरणी मां केवल चिंताओं को दूर ही नहीं करतीं, बल्कि अपने भक्तों पर प्रेम और रक्षा का आशीर्वाद भी बरसाती हैं। जो भक्त विश्वास और समर्पण से उन्हें पुकारते हैं, मां कभी उनकी पुकार खाली नहीं लौटातीं।

