आजा मैं तो भटक गया राह में | प्रभु से मार्गदर्शन और कृपा की विनम्र पुकार
“आजा मैं तो भटक गया राह में” यह भाव एक सच्चे भक्त की आत्मा से निकली पुकार है। जब जीवन में दिशाएँ धुंधली हो जाती हैं, और सही रास्ता समझ नहीं आता, तब मन ईश्वर से कह उठता है — “हे प्रभु, अब आप ही मुझे संभालो।” यह वाक्य हमें याद दिलाता है कि जब भी हम भ्रमित हों या दुखी हों, तब भगवान ही हमारे सच्चे मार्गदर्शक होते हैं। उनकी कृपा से हर अंधकार मिटता है और जीवन का अर्थ पुनः स्पष्ट हो जाता है।

मां सबको सद्बुद्धि दो,बड़े शांति सदभाव।
मिटे शीघ्र संसार से, घृणा द्वेष का भाव।।
आजा मैं तो भटक गया राह में,मुझको दिखादे तेरा द्वार।
मुझको दिखादे तेरा द्वार.
(1) बन न सका मैं पत्थर भी तेरी राह का मैया।
मुझको सहारा है बस एक तेरी बांह का मैया।।
दरस दिखादे एक बार मां,
आजा मैं तो भटक गया राह में …
(2)चूर हुआ मैं गर्व नशे में तेरा नाम मैं भुला।
जिसके लिए यह जन्म हुआ वही काम मैं भुला।
मिले ना जनम ये हर बार मां,
आजा मैं तो भटक गया राह में…
(3)कांटो पे तूने फूल बिछाकर पथ को साफ किया।
जानबूझकर कितनी की गलती फिर भी माफ किया।
तुझको नमन है सौ बार मां,
आजा मैं तो भटक गया राह में,मुझको दिखादे तेरा द्वार।
मां मां ….मां
प्रभु से मार्गदर्शन पाने की साधना विधि
- दिन: सोमवार या शनिवार को यह साधना विशेष फलदायी होती है।
- स्थान: शांत वातावरण में दीपक जलाकर भगवान की तस्वीर या मूर्ति के सामने बैठें।
- सामग्री: दीपक, धूप, फूल, जल और प्रसाद।
- पूजन क्रम:
- भगवान का ध्यान करें और मन में कहें — “हे प्रभु, मैं राह भटक गया हूँ, कृपा कर मुझे सही मार्ग दिखाइए।”
- “ओम नमो भगवते वासुदेवाय” या “जय श्री राम” का 11 बार जप करें।
- मन को शांत रखें और कुछ मिनट ध्यान करें।
- भाव: सच्चे मन से आत्मसमर्पण का भाव रखें और विश्वास करें कि प्रभु आपको सही दिशा दिखाएँगे।
इस भक्ति से मिलने वाले लाभ
- मन की अशांति और भ्रम दूर होते हैं।
- आत्मविश्वास और धैर्य बढ़ता है।
- जीवन में सही निर्णय लेने की शक्ति मिलती है।
- भय, निराशा और नकारात्मकता से मुक्ति मिलती है।
- प्रभु की कृपा से हर कार्य में सफलता और मार्गदर्शन प्राप्त होता है।
निष्कर्ष
“आजा मैं तो भटक गया राह में” केवल एक विनती नहीं, बल्कि आत्मा की वह पुकार है जो ईश्वर तक सीधे पहुँचती है। जब मन थक जाता है और रास्ते कठिन लगते हैं, तब प्रभु अपने अनंत स्नेह से हमें थाम लेते हैं। उनके आशीर्वाद से जीवन की हर उलझन सुलझ जाती है। प्रभु का मार्गदर्शन पाकर व्यक्ति न केवल सही राह चुनता है, बल्कि उसका जीवन शांति, भक्ति और विश्वास से भर उठता है। यही सच्चे समर्पण का सार है — जब हम खुद को प्रभु को सौंप देते हैं, तब वे स्वयं हमें संभाल लेते हैं।

