ज़रा जल्दी से आजा साँवरिया | प्रेम, भक्ति और मिलन की पुकार
“ज़रा जल्दी से आजा साँवरिया” — यह पंक्ति भक्त के हृदय की वह करुण पुकार है जिसमें श्रीकृष्ण के प्रति अटूट प्रेम, समर्पण और विरह की भावना झलकती है। जब मनुष्य संसार की उलझनों में थक जाता है, तो वह अपने साँवरें श्याम को पुकारता है — जो प्रेम, आनंद और शांति के स्रोत हैं। श्रीकृष्ण का नाम लेते ही मन में मधुरता और आत्मिक सुकून का अनुभव होता है। यह भाव दर्शाता है कि सच्चा प्रेम वही है जो बिना किसी अपेक्षा के ईश्वर के चरणों में समर्पित हो जाता है।

ज़रा, जल्दी से, आजा साँवरिया,
तेरी, भक्ति की, ओढ़ी चुनरिया ll
तेरी, भक्ति की, ओढ़ी चुनरिया,
तेरी, भक्ति की, ओढ़ी चुनरिया l
ज़रा, जल्दी से, आजा,,,,,,,,,,,,,,,,
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जैसे, मीरा ने, सब कुछ भुलाया,
प्रभु, चरणों में, ध्यान लगाया ll
मोहन, मुझ पर भी, डालो नज़रिया,
तेरी, भक्ति की, ओढ़ी चुनरिया l
ज़रा, जल्दी से, आजा,,,,,,,,,,,,,,,,
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तुम ने, राधा से, प्रीत लगाई,
उसके, बंधन में, बंध गए कन्हाई ll
राधा, सुनती थी, प्यारी बाँसुरिया,
तेरी, भक्ति की, ओढ़ी चुनरिया l
ज़रा, जल्दी से, आजा,,,,,,,,,,,,,,,,
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तुमने, मधुबन में, रास रचाया,
संग, गवालों के, माखन चुराया ll
सारी, पागल थी, गोकुल नगरिया,
तेरी, भक्ति की, ओढ़ी चुनरिया l
ज़रा, जल्दी से, आजा,,,,,,,,,,,,,,,,
भाव से भक्ति करने की विधि
- दिन और समय: शुक्रवार या सोमवार, प्रातः या संध्या का समय श्रेष्ठ है।
- स्थान: श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक और धूप जलाएँ।
- सामग्री: तुलसीदल, पीले पुष्प, मक्खन, मिश्री और शुद्ध जल चढ़ाएँ।
- प्रारंभ: तीन बार “राधे-कृष्ण” का उच्चारण करते हुए मन को शांत करें।
- भजन या जप: प्रेमपूर्वक “ज़रा जल्दी से आजा साँवरिया” भजन गाएँ या जप करें।
- भावना रखें: मन में यह भाव रखें कि स्वयं श्यामसुंदर आपकी पुकार सुन रहे हैं और आपकी आत्मा में विराजमान हैं।
- समापन: श्रीकृष्ण से यह प्रार्थना करें — “हे साँवरिया, मेरे मन को सदैव आपके प्रेम और चरणों में स्थिर कर दीजिए।”
इस भक्ति से मिलने वाले लाभ
- मन की शांति: ईश्वर-स्मरण से मानसिक तनाव और चिंता दूर होती है।
- प्रेम और करुणा का विकास: दूसरों के प्रति दया और स्नेह की भावना बढ़ती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: आत्मा को श्रीकृष्ण के प्रेम में लीनता प्राप्त होती है।
- संकटों से मुक्ति: श्रद्धा से स्मरण करने पर जीवन के कष्ट दूर होते हैं।
- आंतरिक आनंद: भक्ति से जीवन में सकारात्मकता और सुख का अनुभव होता है।
निष्कर्ष
“ज़रा जल्दी से आजा साँवरिया” — यह केवल एक पुकार नहीं, बल्कि प्रेम का आह्वान है। जब भक्त अपने हृदय की सच्चाई से श्रीकृष्ण को पुकारता है, तो वे अवश्य आते हैं — कभी मुस्कान में, कभी आँसू में, तो कभी मन की शांति में। कृष्ण प्रेम का वह स्वरूप हैं जो हर आत्मा को पूर्णता का एहसास कराता है। उनकी भक्ति हमें सिखाती है कि सच्चे प्रेम में न कोई दूरी है, न कोई अपेक्षा — बस एक मीठी प्रतीक्षा है, जो हर भक्त के हृदय में साँवरिया के लिए धड़कती रहती है।

