सब आपकी है माया | ईश्वर की लीला, समर्पण और सत्य की अनुभूति

सब आपकी है माया | ईश्वर की लीला, समर्पण और सत्य की अनुभूति

“सब आपकी है माया” — यह पंक्ति जीवन के उस गहरे सत्य को दर्शाती है कि संसार में जो कुछ भी है, वह सब ईश्वर की इच्छा और उनकी लीला का ही रूप है। चाहे सुख हो या दुःख, सफलता हो या संघर्ष, सब कुछ उसी दिव्य शक्ति द्वारा चलाया जा रहा है। यह भाव मन में आते ही व्यक्ति का अहंकार मिटने लगता है और जीवन की जटिलताएँ हल्की महसूस होने लगती हैं। इस पंक्ति को बोलने वाला भक्त ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण और भरोसा जताता है, क्योंकि उसे पता है कि अंत में सब उनकी ही रचना और माया है।

rajeshswari

आपने तो सब सुख दिए हैं मैया,
ना आपसे कोई गिला है,
दुख जो भी मुझको मिले हैं,
सब कर्मों का मेरे सिला है,
संसार में जो हूँ आया ,
माँ सब आपकी है माया….

मैंने जो कुछ भी है पाया,
सब आपसे ही तो पाया,
मुझ से बेटे पर भी आपने,
मैया सारी खुशियाँ लुटा दी,
बदकिस्मती से जो बदा था,
वो बद की हद मिटा दी,
चुनकर मैया आपने काँटे,
मेरी राह फूलों से भर दी,
मैया लुटा कर आपने ममता,
कृपा राजीव पर कर दी,
आपकी दया से ही तो,
मेरी जीवन अब तक चला है,
दुख जो भी मुझको मिले हैं,
सब कर्मों का मेरे सिला है,
आपने तो सब सुख दिए हैं मैया,
ना आपसे कोई गिला है…..

भाव से प्रार्थना-विधि

  1. समय: प्रातः या संध्या का शांत समय चुनें।
  2. स्थान: शांत वातावरण में दीपक और धूप जलाएँ।
  3. सामग्री: फूल, जल, दिया और कोई भी पवित्र ग्रंथ या मंत्र।
  4. प्रारंभ: आँखें बंद करके गहरी सांस लें और मन में ईश्वर का स्मरण करें।
  5. भक्ति:
    धीरे-धीरे यह पंक्ति बोलें —
    “सब आपकी है माया।”
    इसके साथ कोई भजन, मंत्र या ध्यान कर सकते हैं।
  6. समापन: ईश्वर से कहें —
    “मुझे आपकी इच्छा में चलने की बुद्धि और शक्ति दें।”
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इस भाव से मिलने वाले लाभ

  • मन में शांति और स्वीकार्यता आती है।
  • अहंकार कम होता है और विनम्रता बढ़ती है।
  • दुःख और उलझनों का बोझ हल्का महसूस होता है।
  • ईश्वर के प्रति विश्वास और समर्पण बढ़ता है।
  • जीवन को गहरी समझ और संतुलन मिलता है।

निष्कर्ष

“सब आपकी है माया” — यह पंक्ति हमें जीवन की अस्थिरता और ईश्वर की सर्वशक्तिमानता का एहसास कराती है। जब हम समझ जाते हैं कि संसार में जो कुछ भी है, वह सब उनकी बनाई लीला है, तो मन शांत और चिंताओं से मुक्त हो जाता है। यह भाव हमें सिखाता है कि जीवन में जो भी हो रहा है, वह किसी न किसी बड़े उद्देश्य से जुड़ा है। ईश्वर पर भरोसा रखने वाला व्यक्ति हर स्थिति में स्थिर और प्रसन्न रहता है। इस समर्पण में ही जीवन का सच्चा सुख और स्वतंत्रता छिपी होती है।

Shiv murti

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