गायत्री मंत्र – ज्ञान और प्रकाश का स्तोत्र

गायत्री मंत्र – ज्ञान और प्रकाश का स्तोत्र

गायत्री मंत्र वेदों का एक अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली मंत्र है। इसे ऋग्वेद से लिया गया है और इसे वेदों की आत्मा कहा जाता है। इस मंत्र का उच्चारण करने से बुद्धि शुद्ध होती है और जीवन में ज्ञान व सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। माना जाता है कि नियमित रूप से गायत्री मंत्र का जप करने से आत्मविश्वास, ध्यान और एकाग्रता बढ़ती है। यह मंत्र सूर्य देवता को समर्पित है और जीवन में प्रकाश और मार्गदर्शन का प्रतीक है।

गायत्री मंत्र लिरिक्स

ॐ भूर्भुवः स्व:
तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो,
देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्।

गायत्री मंत्र जप करने की विधि

1. तैयारी

  • सुबह सूर्योदय के समय स्नान करके मंत्र जप करना शुभ होता है।
  • शांत और स्वच्छ स्थान पर बैठें।
  • दीपक या धूप जलाकर ध्यान केंद्रित करें।

2. जप

  • मंत्र का उच्चारण धीमी और स्पष्ट आवाज़ में करें।
  • जप करते समय मन को एकाग्र और विचारों को शुद्ध रखें।
  • चाहे तो माला का उपयोग करके 11, 21 या 108 बार जप कर सकते हैं।

गायत्री मंत्र के लाभ

  • बुद्धि और एकाग्रता बढ़ती है।
  • मन में शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  • आत्मविश्वास और मानसिक शक्ति प्राप्त होती है।
  • नकारात्मक विचार और तनाव कम होते हैं।
  • पढ़ाई और ज्ञान की दिशा में प्रगति होती है।

निष्कर्ष

गायत्री मंत्र केवल एक धार्मिक पाठ नहीं है, बल्कि यह जीवन में प्रकाश और प्रेरणा का स्रोत है। इसे श्रद्धा और ध्यान के साथ जप करने से आत्मा को शुद्धता और शक्ति मिलती है। नियमित रूप से इसका जप करने से जीवन की कठिनाइयाँ सरल हो जाती हैं और मनुष्य का मार्ग प्रकाशमय बनता है। यह मंत्र हर उम्र और हर परिस्थिति में लाभकारी है।

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