सावन के महीने में भोले के दर्शन पा लो
सावन का महीना भगवान भोलेनाथ के आराधना का सबसे शुभ काल माना जाता है। इस पवित्र समय में वातावरण में भक्ति, विश्वास और हर-हर महादेव का जयघोष गूंजता है। भक्तगण कांवर लेकर जल चढ़ाते हैं और अपने जीवन में शिव कृपा पाने का प्रयास करते हैं। कहा जाता है कि जो भी सावन में सच्चे मन से भोलेनाथ का दर्शन और पूजन करता है, उसके सारे कष्ट मिट जाते हैं। यह महीना केवल पूजा का नहीं बल्कि आत्मशुद्धि और प्रेम का प्रतीक है।

शिव गौरां के मिलन का उत्सव,
मिलकर सब मना लो,
सावन के महीने में, भोले के दर्शन पा लो……
देवों के हैं देव ये तो, भोले हैं भंडारी,
गौरां जी के संग में, विराजें त्रिपुरारी,
शरण में आ के इनकी,
चरणों में ध्यान लगा लो,
सावन के महीने में…
भक्ति की ज्योती अपने मन में जलायो,
जय हो भोलेनाथ जय हो महादेव गायो,
होंगी मुरादें पूरी,
तुम हमसे ये लिखवा लो,
सावन के महीने में…..
भक्तों के मन में क्या है, सब जानते हैं,
बोले बिना ही प्रभू, पहचानते हैं,
डग मग नैया डोले (तो),
शम्भु को मीत बना लो,
सावन के महीने में….
बिना शिव की मर्जी के, फूल खिले ना,
इनके इशारे बिना, पत्ता भी हिले ना,
“सदावर्तीया” शिव शंकर को,
मन में तुम बसा लो,
सावन के महीने में…..
सावन में भोलेनाथ के पूजन की विधि
- प्रातःकाल स्नान कर सफेद या पीले वस्त्र पहनें।
- शिवलिंग पर जल, दूध या गंगाजल अर्पित करें।
- बिल्वपत्र, धतूरा, भस्म, चंदन, और फूल अर्पण करें।
- ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का 108 बार जाप करें।
- आरती करें और भोलेनाथ से अपनी मनोकामना प्रकट करें।
- सोमवार का व्रत करें, क्योंकि सावन के सोमवार भगवान शिव को अत्यंत प्रिय हैं।
सावन में पूजन के शुभ फल
- कष्ट, रोग और पापों का नाश होता है।
- मन की इच्छाएँ पूर्ण होती हैं।
- घर-परिवार में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
- आध्यात्मिक उन्नति और आत्मबल की वृद्धि होती है।
- जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आशीर्वाद की अनुभूति होती है।
निष्कर्ष
“सावन के महीने में भोले के दर्शन पा लो” यह केवल एक वाक्य नहीं, बल्कि भक्ति का आमंत्रण है। इस महीने में हर भक्त को अपने भीतर बसे शिव से जुड़ने का अवसर मिलता है। जो व्यक्ति सच्चे मन से जल चढ़ाता है और ‘ॐ नमः शिवाय’ का स्मरण करता है, उसके जीवन में शिव कृपा निरंतर बनी रहती है। सावन का यह पवित्र समय हमें सिखाता है कि सादगी, भक्ति और प्रेम ही सच्चे दर्शन का मार्ग हैं।

