हरि आ जाओ | प्रभु के आगमन की हृदय से पुकार

हरि आ जाओ | प्रभु के आगमन की हृदय से पुकार

“हरि आ जाओ” केवल एक वाक्य नहीं, बल्कि भक्त की आत्मा की गहराई से निकली पुकार है। जब जीवन में अंधकार या निराशा होती है, तब भक्त यही कहता है — “हे हरि, मेरे हृदय में आकर मेरी राह रोशन करो।” यह भक्ति का भाव हमें ईश्वर से जुड़ने और अपने भीतर की दिव्यता को पहचानने का अवसर देता है। हरि नाम के स्मरण से मन की शांति लौटती है, और जीवन में प्रेम, करुणा व संतुलन की अनुभूति होती है।

rajeshswari

हरी आ जाओ, इक्क वार, हरी आ जाओ, इक्क वार ll
हरी आ जाओ, इक्क वार, हरी आ जाओ, इक्क वार ll

हरी आ जाओ, इक्क वार, हरी आ जाओ, इक्क वार ll
मेरा कोई न, सहारा बिन तेरे, प्रभु राम, रमईया मेरे ll

भव सागर में, जीवन नईया, कोई नहीं है, तुझसा सहईया ll
हरी आ जाओ, इक्क वार, हरी आ जाओ, इक्क वार ll

यह जीवन है, तुझसे पाया, सब तेरे कोई ना पराया ll
हरी आ जाओ, इक्क वार, हरी आ जाओ, इक्क वार ll

इस जीवन के, बंधन खोलो, हे प्रभु अपनी, शरण में ले लो ll
हरी आ जाओ, इक्क वार, हरी आ जाओ, इक्क वार ll

हरी आ जाओ, इक्क वार, हरी आ जाओ, इक्क वार ll
हरी आ जाओ, इक्क वार, हरी आ जाओ, इक्क वार,,,,,,,

भाव से पूजा या स्मरण विधि

  1. दिन: गुरुवार या एकादशी का दिन सबसे शुभ माना जाता है।
  2. स्थान: घर के मंदिर या शांत स्थान पर बैठें, जहाँ आप एकाग्र हो सकें।
  3. सामग्री: पीले फूल, तुलसी पत्र, दीपक, धूप और चंदन रखें।
  4. प्रारंभ: “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का 11 बार जप करें।
  5. पूजन: भगवान विष्णु या श्री हरि को फूल और तुलसी पत्र अर्पित करें।
  6. भावना: आँखें बंद कर मन ही मन कहें — “हरि आ जाओ, मेरे जीवन में अपनी कृपा बरसाओ।”
  7. आरती करें: दीपक जलाकर भगवान की आरती करें और अंत में प्रसाद ग्रहण करें।
इसे भी पढ़े   मंगल मूर्ति रूप लेकर गणपति जी आ गए

भक्ति से प्राप्त होने वाले लाभ

  • मन को गहरी शांति और आत्मिक सुकून प्राप्त होता है।
  • जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और सौभाग्य बढ़ता है।
  • कठिन समय में ईश्वर की कृपा से समाधान मिलते हैं।
  • परिवार में प्रेम, एकता और सुख-शांति बनी रहती है।
  • ईश्वर पर विश्वास और भक्ति का भाव गहराता है।

निष्कर्ष

“हरि आ जाओ” केवल एक प्रार्थना नहीं, बल्कि आत्मा की वह पुकार है जो सीधे भगवान तक पहुँचती है। जब हम सच्चे मन से हरि को पुकारते हैं, तो वे हमारे जीवन में प्रकाश, प्रेम और करुणा बनकर उतरते हैं। यह भाव हमें याद दिलाता है कि प्रभु सदैव हमारे समीप हैं, बस उन्हें सच्चे दिल से बुलाने की देर है। जब हरि हमारे हृदय में वास करते हैं, तब संसार की हर चिंता मिट जाती है और मन केवल शांति का अनुभव करता है।

Shiv murti

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *