भोले तुम मोहन बन जाओ | जब शिव का सौम्य रूप प्रेम और भक्ति से भर जाता है

भोले तुम मोहन बन जाओ | जब शिव का सौम्य रूप प्रेम और भक्ति से भर जाता है

“भोले तुम मोहन बन जाओ” यह पंक्ति भक्त और भगवान के बीच के उस मधुर संवाद को दर्शाती है, जहाँ प्रेम, भक्ति और आत्मीयता एक हो जाते हैं। भक्त अपने भोलेनाथ से कहता है कि वे अपने कठोर तपस्वी रूप को त्यागकर कोमल, मोहक और दयालु स्वरूप में प्रकट हों। यह भाव मनुष्य की उस आकांक्षा का प्रतीक है, जिसमें वह भगवान से केवल वरदान नहीं, बल्कि प्रेम और अपनापन चाहता है। जब शिव मोहन बन जाते हैं, तो भक्ति का हर क्षण मधुर संगीत में बदल जाता है।

rajeshswari

भोले तो मोहन बन जाओ,
गुजरिया हम बन जाएंगे,
हम बन जाएंगे गुजरिया हम बन जाएंगे…..

माथे का टीका तुम ले आईयो,
भोले चंदा बीच सजाओ,
गुजरिया हम बन जाएंगे,
भोले तुम मोहन बन जाओ,
गुजरिया हम बन जाएंगे……

गले का हरवा तुम ले आईयो,
भोले नागन बीच सजाओ,
गुजरिया हम बन जाएंगे,
भोले तुम मोहन बन जाओ,
गुजरिया हम बन जाएंगे……

हाथों के कंगना तुम ले आईयो,
भोले डमरु संग सजाओ,
गुजरिया हम बन जाएंगे,
भोले तुम मोहन बन जाओ,
गुजरिया हम बन जाएंगे……

अंग का लहंगा तुम ले आईयो,
सरकी चुनरिया तुम ले आईयो,
भोले अपने हाथ उड़ाओ,
गुजरिया हम बन जाएंगे,
भोले तुम मोहन बन जाओ,
गुजरिया हम बन जाएंगे……

पैरों की पायल तुम ले आईयो,
भोले अपने संग नचाओ,
गुजरिया हम बन जाएंगे,
भोले तुम मोहन बन जाओ,
गुजरिया हम बन जाएंगे……

भांग धतूरा तुम ले ले आईयो,
भोले घुट-घुट हम प्यार,
गुजरिया हम बन जाएंगे,
भोले तुम मोहन बन जाओ,
गुजरिया हम बन जाएंगे……

भोलेनाथ को प्रसन्न करने की पूजा विधि

  1. प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. शिवलिंग पर जल, दूध, शहद और गंगाजल से अभिषेक करें।
  3. बिल्वपत्र, धतूरा, चंदन और सफेद फूल अर्पित करें।
  4. “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का 108 बार जाप करें।
  5. शाम को दीपक जलाकर “भोले तुम मोहन बन जाओ” भजन का गायन करें।
  6. पूजन के अंत में भगवान से करुणा और प्रेम की याचना करें।
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पूजा करने के शुभ फल

  • मन की शांति और आत्मिक स्थिरता प्राप्त होती है।
  • जीवन में सौम्यता और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  • विघ्न और कष्ट दूर होकर सुख-संपन्नता आती है।
  • भक्ति में गहराई और ईश्वर से आत्मिक जुड़ाव बढ़ता है।
  • मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं और घर में मंगल का वातावरण बनता है।

निष्कर्ष

“भोले तुम मोहन बन जाओ” यह भाव भक्ति की गहराई को दर्शाता है, जहाँ भक्त अपने ईश्वर से केवल आशीर्वाद नहीं, बल्कि प्रेममय सान्निध्य चाहता है। भोलेनाथ जब मोहन बनकर भक्त के हृदय में बस जाते हैं, तब जीवन के हर दुःख का अंत हो जाता है। यह वाक्य हमें सिखाता है कि ईश्वर केवल पूजे जाने के लिए नहीं, बल्कि महसूस किए जाने के लिए हैं। सच्चे मन से किया गया उनका स्मरण हर हृदय को आनंद, प्रेम और प्रकाश से भर देता है।

Shiv murti

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