सबके दाता जय श्रीराम | दया, करुणा और भक्तिपूर्ण समर्पण का भाव

सबके दाता जय श्रीराम | दया, करुणा और भक्तिपूर्ण समर्पण का भाव

“सबके दाता जय श्रीराम” — यह पंक्ति भक्त के उस विश्वास की झलक है जहाँ वह श्रीराम को समस्त सृष्टि के पालनहार और करुणा के सागर के रूप में देखता है। प्रभु श्रीराम न केवल अपने भक्तों के दाता हैं, बल्कि वे हर जीव के दुःख हरने वाले और जीवन को दिशा देने वाले हैं। यह पंक्ति मन में समर्पण, आभार और श्रद्धा का भाव जगाती है। जब हम “सबके दाता जय श्रीराम” कहते हैं, तो यह केवल उच्चारण नहीं, बल्कि एक आत्मीय नमन होता है प्रभु की असीम कृपा को।

rajeshswari

भव सागर को पार करने, सबको सच्चा मार्ग दिखाने,
प्रगट हुए हैं, जय श्री राम जय श्री राम,
सबके दाता जय श्री राम…….

बानर सेना को लेकर, लंकेश को मार गिराया,
कुम्भकर्ण की नीद जगाकर, रणभूमि में धूल चटाया,
अच्छे लोगों के साथी, बुरे लोगों के संहारी,
ऐसे हैं जय जय श्री राम,
सबके दाता जय श्री राम,
भव सागर को पार करने, सबको सच्चा मार्ग दिखाने,
प्रगट हुए हैं, जय श्री राम जय श्री राम,
सबके दाता जय श्री राम……

जन जन के आदर्श बनकर, राम महान कहलाये,
राक्षसों को मार गिरा कर, सीता माँ को वापिस लाये,
रक्षा करनेअपने धर्म की, अधर्मी का करके नाश,
प्रगट होंगे जय जय श्री राम,
सबके दाता जय श्री राम,
भव सागर को पार करने, सबको सच्चा मार्ग दिखाने,
प्रगट हुए हैं, जय श्री राम जय श्री राम.
सबके दाता जय श्री राम…….

विधि भक्ति भाव से जप या गान करने की विधि

  1. स्थान और तैयारी: सुबह या संध्या के समय पूजा स्थल पर दीपक और धूप जलाएँ।
  2. प्रारंभ: श्रीराम और माता सीता का ध्यान करते हुए “जय श्रीराम” मंत्र तीन बार बोलें।
  3. जप या भजन: “सबके दाता जय श्रीराम” पंक्ति को 11, 21 या 108 बार भावना से दोहराएँ।
  4. भावना: हर बार यह अनुभव करें कि प्रभु आपकी हर आवश्यकता को जानते हैं और अपनी कृपा दृष्टि आप पर बरसा रहे हैं।
  5. समापन: अंत में नमन करें और यह प्रार्थना करें — “हे प्रभु, मुझे ऐसा जीवन दो जो आपके नाम का गुणगान करे।”
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लाभ इस भक्ति भाव से मिलने वाले दिव्य फल

  • मन में विश्वास और स्थिरता: जीवन की हर परिस्थिति में आशा बनी रहती है।
  • दया और विनम्रता का विकास: ईश्वर के दाता स्वरूप को पहचानकर मन में करुणा बढ़ती है।
  • सकारात्मक ऊर्जा: “जय श्रीराम” के जप से वातावरण पवित्र और शांति से भर जाता है।
  • भक्ति की गहराई: प्रभु के प्रति प्रेम और समर्पण दृढ़ होता है।
  • संकट निवारण: कठिन समय में मनोबल और आंतरिक शक्ति प्राप्त होती है।

निष्कर्ष

“सबके दाता जय श्रीराम” — यह केवल भक्ति का उद्घोष नहीं, बल्कि प्रेम, करुणा और आभार का संगम है। यह पंक्ति हमें सिखाती है कि प्रभु श्रीराम सबके हैं — वे जाति, धर्म या परिस्थिति नहीं देखते, केवल हृदय की भावना देखते हैं। जब हम उन्हें “सबके दाता” कहकर पुकारते हैं, तो हमारे भीतर का हर भय मिट जाता है और शांति का प्रकाश फैल जाता है।

Shiv murti

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