मेरा हारा वाला पीर दा पीर | हर दुख का अंत और हर मन की राहत

“मेरा हारा वाला पीर दा पीर” यह वाक्य उस अटूट विश्वास की झलक देता है जो एक सच्चे भक्त के हृदय में अपने पीर या सतगुरु के प्रति होता है। जब जीवन की राहें कठिन हो जाती हैं, तब यही श्रद्धा हमें संभालती है। यह भाव हमें याद दिलाता है कि सच्चे पीर या गुरु के चरणों में जाकर ही मन को शांति और आत्मा को सहारा मिलता है। जो व्यक्ति इस विश्वास को हृदय में रखता है, उसका हर हारना भी एक नई सीख बन जाता है और वह फिर से उठ खड़ा होता है।

rajeshswari

मेरा सतगुरु पीरा दा पीर मेरा मन रंगया गया
रंगया गया मन रंगया गया
नाले बादशाह नाले फ़क़ीर
मेरा मन रंगया गया

सुध भूध भूल गई मैं सब तन दी
चिंता छुट्टी जन्म मरण दी
मेरी छुट गयी मन दी पीड़
मेरा मन रंगया गया

मेरा सतगुरु पीरा दा पीर मेरा मन रंगया गया
रंगया गया मन रंगया गया
नाले बादशाह नाले फ़क़ीर
मेरा मन रंगया गया

पाठ नाम वाला एसा पढया
जिसदा नशा सदा ल‌ई चडया
मैं हो गई बड़ी अमीर
मेरा मन रंगया गया

मेरा सतगुरु पीरा दा पीर मेरा मन रंगया गया
रंगया गया मन रंगया गया
नाले बादशाह नाले फ़क़ीर
मेरा मन रंगया गया

सतगुरु दिती ऐसा मस्ती
भूल गई मैं सब दी हस्ती
हॉवे चरना विच अखीर
मेरा मन रंगया गया

मेरा सतगुरु पीरा दा पीर मेरा मन रंगया गया
रंगया गया मन रंगया गया
नाले बादशाह नाले फ़क़ीर
मेरा मन रंगया गया

भावना से साधना या स्मरण विधि

  1. समय: संध्या या भोर का शांत समय सबसे शुभ माना जाता है।
  2. स्थान: अपने घर के पूजा स्थान या किसी पवित्र जगह पर दीपक जलाएँ।
  3. भाव: मन में कहें — “हे पीर दा पीर, जब सब छोड़ दें, तब आप ही मेरे सहारे हैं।”
  4. स्मरण करें: “मेरा हारा वाला पीर दा पीर” को 11 या 21 बार श्रद्धा से दोहराएँ।
  5. मनन करें: कुछ पल मौन रहकर अपने जीवन की कठिनाइयों को गुरु या ईश्वर को समर्पित करें।
  6. समापन: अंत में आभार व्यक्त करें और विश्वास रखें कि पीर आपकी हर चिंता हर लेंगे।
इसे भी पढ़े   खा के धतूरा भांग भोले बाबा नाच रहे | भोलेनाथ की अलौकिक भक्ति और आनंदमय रूप

आध्यात्मिक और मानसिक लाभ

  • कठिन समय में आत्मबल और हिम्मत बढ़ती है।
  • मन में विश्वास और स्थिरता का भाव आता है।
  • पीर या गुरु की कृपा से जीवन में दिशा और समाधान मिलते हैं।
  • भक्ति और समर्पण की भावना गहरी होती है।
  • मन को शांति और हृदय को सुकून प्राप्त होता है।

निष्कर्ष

“मेरा हारा वाला पीर दा पीर” केवल एक पंक्ति नहीं, बल्कि एक जीवन दर्शन है। यह सिखाता है कि जब इंसान हार मान लेता है, तब भी उसका पीर, उसका प्रभु उसे संभाल लेता है।
सच्चे पीर की कृपा वह शक्ति है जो हर टूटे दिल को जोड़ देती है, हर निराश मन को आशा देती है। जब यह विश्वास दृढ़ हो जाता है, तब जीवन की हर हार, ईश्वर की किसी बड़ी जीत में बदल जाती है।

Shiv murti

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *