माँ भर दे झोली | माँ की कृपा, ममता और आशीर्वाद की दिव्य पुकार

माँ भर दे झोली | माँ की कृपा, ममता और आशीर्वाद की दिव्य पुकार

“माँ भर दे झोली” — यह पंक्ति एक भक्त के उस सच्चे और कोमल भाव को दर्शाती है जिसमें वह माँ के चरणों में अपनी झोली फैलाकर खड़ा होता है। यह झोली केवल धन-संपत्ति की नहीं, बल्कि प्रेम, शांति, शक्ति, सुख और संतोष की भी प्रतीक होती है। माँ की ममता इतनी व्यापक होती है कि वह भक्त के हर दुःख को देखती हैं और सही समय पर उसे खुशियों से भर देती हैं। इस पंक्ति में वह भरोसा भी शामिल है जो भक्त को अपने ईश्वर स्वरूप माँ पर होता है—कि माँ कभी किसी को खाली हाथ नहीं लौटातीं।

rajeshswari

माँ शेरावाली तेरे भरे भंडारे,
आ दर ते बैठे सब भगत प्यारे,
खड़े दर तेरे ते हथ बन के सवाली,
माँ चिंतापुरनी ना मोड़ी खाली,
माँ भरदे झोली, ना मोड़ी खाली……

माँ पूजे तैनू ए दुनिया सारी,
तू ता भगता नू हुन लग्गे प्यारी,
हर पासे मईया हुन रहे खुशहाली,
माँ चिंतापुरनी ना मोड़ी खाली,
माँ भरदे झोली, ना मोड़ी खाली……

असी तेरे बाझो दुःख दसना केहनु,
गुण गाउँदा तेरे, माँ तारे जेहनु,
सारी दुनिया दी इक तू है पाली,
माँ चिंतापुरनी ना मोड़ी खाली,
माँ भरदे झोली, ना मोड़ी खाली……

मनजिंदर मान हुन दर तेरे आया,
कर नज़र मेहर दी तू आप बुलाया,
हर वेले उसदी हुन कर रखवाली,
माँ चिंतापुरनी ना मोड़ी खाली,
माँ भरदे झोली, ना मोड़ी खाली……

सरल भक्ति-विधि

  1. समय: प्रातःकाल या शुक्रवार माता की कृपा पाने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
  2. स्थान: घर का मंदिर या माँ की तस्वीर के सामने दीपक जलाएँ।
  3. सामग्री: लाल फूल, चुनरी, फल, मिठाई, धूप, दीपक और जल।
  4. प्रारंभ: तीन बार “जय माता दी” बोलकर मन को शांत करें।
  5. भक्ति:
    श्रद्धा से यह पंक्ति बोलें —
    “माँ भर दे झोली…”
    इसके साथ माताजी की आरती, मंत्र या चालीसा पढ़ें।
  6. समापन: अपनी झोली को (प्रतीकात्मक रूप से) दोनों हाथों से माँ के सामने फैलाएँ और मनोकामना व्यक्त करें।
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माँ की कृपा से मिलने वाले लाभ

  • मनोकामनाएँ पूर्ण होने लगती हैं।
  • मन में शांति, विश्वास और सकारात्मकता आती है।
  • घर-परिवार में सुख और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
  • भय, चिंता और बाधाएँ दूर होती हैं।
  • माँ की ममता जीवन में सुरक्षा और आश्रय प्रदान करती है।

निष्कर्ष

“माँ भर दे झोली” — यह पंक्ति केवल भक्ति नहीं, बल्कि एक सच्चे समर्पण की अभिव्यक्ति है। जब भक्त माँ के आगे अपनी झोली फैलाता है, तो उसमें केवल इच्छाएँ नहीं होतीं, बल्कि विश्वास, प्रेम और उम्मीद भी होती है। माँ अपनी ममता की छाया में हमेशा अपने भक्तों को सुरक्षित रखती हैं और उन्हें वही देती हैं जो उनके जीवन में सर्वोत्तम होता है। वास्तव में, माँ की कृपा से जो झोली भरती है, उसमें केवल धन नहीं बल्कि सुकून, आनंद और जीवन का वास्तविक सुख भर जाता है।

Shiv murti

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