मईया जी दियो पुत्तर दी दात
“मईया जी दियो पुत्तर दी दात” — यह पंक्ति उस गहरी इच्छा और विश्वास को दर्शाती है जिसमें भक्त माता से संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मांगता है। अनेक परिवारों के लिए संतान का सुख सबसे बड़ी खुशी होता है, और जब यह सुख दूर होता है, तो मन माँ के चरणों में आसरा ढूँढने लगता है। इस पंक्ति में आशा भी है, विश्वास भी है और माँ के आशीर्वाद पर पूर्ण भरोसा भी। मायरा करने वाली माँ अपने भक्तों की पुकार को सुनती हैं और उनकी झोली को खुशियों से भर देती हैं।

मईया जी देयो पुत्तर दी दात, कर देयो मेहर मेरे ते,
मिनता मैं करदी अम्बे मात, कर देयो मेहर मेरे ते,
मईया जी देयो पुत्तर दी दात……
पुत्त हुंदे मिठड़े मेवे, सुनया तू सब नू देवे,
मंगा मैं,, जय हो,, तैथों ए सौगात, कर देयो मेहर मेरे ते,
मईया जी देयो पुत्तर दी दात……
सुन्नी है गोद मेरी, झोली तू भरदे मेरी,
भवना ते,, जय हो,, आवा मैं हर साल, कर देयो मेहर मेरे ते,
मईया जी देयो पुत्तर दी दात……
पुत्र नू नाल लेयावा, झंडा मैं आन चढ़ावा,
वंडा मैं,, जय हो,, कंजका नू प्रशाद, कर देयो मेहर मेरे ते,
मईया जी देयो पुत्तर दी दात……
मईया जी सुन लो मेरी, करदा मैं पूजा तेरी,
जपदी मैं, जय हो,, नाम तेरा दिन रात, कर देयो मेहर मेरे ते,
मईया जी देयो पुत्तर दी दात……
शेर सवारी करके आजा, बच्चियां ते कर्म कमा जा,
भगता नू,, जय हो,, वंडो एहो दात, कर देयो मेहर मेरे ते,
मईया जी देयो पुत्तर दी दात……
माता की भक्ति-विधि
- समय: शुक्रवार, नवमी, नवरात्रि या भोर का समय विशेष शुभ है।
- स्थान: घर के मंदिर या माता की तस्वीर के सामने शांत मन से बैठें।
- सामग्री: लाल फूल, चुनरी, दीपक, धूप, कुमकुम, नारियल और फल।
- प्रारंभ: तीन बार “जय माता दी” बोलकर मन केंद्रित करें।
- भक्ति:
सच्चे मन से बोलें —
“मईया जी दियो पुत्तर दी दात…”
इसके साथ दुर्गा सप्तशती, संतोषी माता व्रत या देवी पाठ करें। - समापन: माता से संतान सुख और स्वस्थ परिवार का आशीर्वाद माँगे।
इस भक्ति से मिलने वाले लाभ
- संतान प्राप्ति की मनोकामना पूरी होने की संभावना बढ़ती है।
- घर में शांति, प्रेम और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
- भय, तनाव और चिंता कम होती है।
- माँ का संरक्षण परिवार को मजबूत बनाता है।
- दाम्पत्य जीवन में सौहार्द और स्थिरता आती है।
निष्कर्ष
“मईया जी दियो पुत्तर दी दात” — यह पंक्ति भक्त की उस सच्ची पुकार का प्रतीक है जो माँ को पूर्ण विश्वास के साथ समर्पित की जाती है। माँ अपने भक्तों के दिल के दर्द और इच्छाओं को समझती हैं, इसलिए वह हमेशा सही समय पर अपनी कृपा बरसाती हैं। यह प्रार्थना हमें याद दिलाती है कि संतान केवल जीवविज्ञान नहीं, बल्कि माँ का दिया हुआ पवित्र आशीर्वाद है। जो भक्त माँ पर भरोसा रखता है, उसकी झोली में माँ अवश्य खुशियों का उपहार रखती हैं।

