मेरा रोम रोम नित बोले जय शिव भोले
“मेरा रोम रोम नित बोले जय शिव भोले” यह पंक्ति उस परम भक्ति की अनुभूति कराती है, जहाँ हर श्वास में भगवान शिव का नाम बस जाता है। यह भाव दर्शाता है कि जब मन पूरी तरह से भक्ति में डूब जाता है, तब ईश्वर केवल मंदिरों में नहीं, बल्कि हमारे अस्तित्व के हर कण में बस जाते हैं। शिव का नाम लेने से मन पवित्र होता है, और हर श्वास के साथ श्रद्धा का प्रवाह बढ़ता है। यह गीत इस सत्य को दर्शाता है कि भक्ति कोई क्रिया नहीं, बल्कि एक अवस्था है — जहाँ हर कण “हर हर महादेव” की गूँज बन जाता है।

मेरा रोम रोम नित भोले जय शिव भोले,
मेरा मन मस्ती में डोले बम बम भोले,
बोलो ॐ नमः शिवाय, बोलो बोलो ओम नमः शिवाय…..
अलख जगाए धूनी रमाए शिव बम भोले भंडारी,
शिव बम भोले भंडारी,
तीन लोक के स्वामी तेरी लीला है सबसे न्यारी,
भोले लीला है सबसे न्यारी,
हे त्रिपुरारी शिव भोले बम बम भोले,
बम बम भोले, जय शिव भोले,
मेरा मन मस्ती में डोले बम बम भोले…..
कर त्रिशूल तन पे मृगछाला भालचंद्रमा सोहे निराला,
भालचंद्रमा सोहे निराला,
जटा जूट गंगा की धारा गले सोहे नागों की माला,
भोले गले सोहे नागों की माला,
तुम्हें देखकर मनवा डोले बम बम भोले,
बम बम भोले, जय शिव भोले,
मेरा मन मस्ती में डोले बम बम भोले…..
दीन दुखी के तुम ही सहारे सारे जग के पालन हारे,
भोले सारे जग के पालन हारे,
दरस दिखाओ बिगड़ी बनाओ आन पड़े हैं तेरे द्वारे,
भोले आन पड़े हैं तेरे द्वारे,
हे नट नागर शिव भोले बम बम भोले,
बम बम भोले, जय शिव भोले,
मेरा मन मस्ती में डोले बम बम भोले…..
शिव स्मरण और जप की सरल विधि
- प्रातःकाल स्नान कर शांत मन से शिवलिंग के समक्ष दीपक जलाएँ।
- गंगाजल, दूध, पुष्प और बेलपत्र अर्पित करें।
- बैठकर गहरी साँस लें और प्रत्येक श्वास के साथ मन में दोहराएँ — “जय शिव भोले।”
- इस पंक्ति को श्रद्धा से गुनगुनाएँ — “मेरा रोम रोम नित बोले जय शिव भोले।”
- अंत में अपने परिवार, समाज और समस्त जगत के कल्याण की प्रार्थना करें।
इस भक्ति भाव के परिणाम
- मन, शरीर और आत्मा में दिव्यता और शांति का अनुभव होता है।
- चिंता, भय और नकारात्मक विचारों से मुक्ति मिलती है।
- शक्ति, संतुलन और आत्मविश्वास बढ़ता है।
- शिव कृपा से जीवन में सुख, सफलता और समृद्धि आती है।
- हर कार्य में सकारात्मक ऊर्जा और ईश्वर का संरक्षण महसूस होता है।
निष्कर्ष
“मेरा रोम रोम नित बोले जय शिव भोले” केवल एक भक्ति वाक्य नहीं, बल्कि जीवन जीने की प्रेरणा है। जब हमारा हर कण शिवमय हो जाता है, तो भीतर और बाहर दोनों ओर प्रकाश फैल जाता है। इस भाव से जप किया गया शिव नाम जीवन को सरल, निर्मल और आनंदमय बना देता है। जो भक्त अपने हर श्वास में “जय शिव भोले” को बसाता है, वह सच्चे अर्थों में शिव के सान्निध्य को अनुभव करता है।

