मेरी वंदना सतगुरू प्यारे नू | भक्ति, ज्ञान और कृपा का संगम
“मेरी वंदना सतगुरू प्यारे नू” यह वाक्य उस अनमोल भावना का प्रतीक है जब शिष्य अपने गुरु को नमन करता है। सतगुरु केवल ज्ञानदाता नहीं, बल्कि जीवन के अंधकार को मिटाने वाले मार्गदर्शक हैं। जब हृदय सच्चे समर्पण से भरा हो, तब वंदना केवल शब्द नहीं, बल्कि आत्मा की भाषा बन जाती है। यह भाव हमें यह सिखाता है कि गुरु का आदर और आभार हर साधक के जीवन का सबसे पवित्र कर्तव्य है। उनकी कृपा से ही जीवन में ज्ञान, शांति और प्रेम का प्रवाह होता है।

मेरी वंदना वंदना वंदना,
मेरी वंदना सतगुरू प्यारे नू,
मेरी वंदना बख्शनहारे नू,
मेरी वंदना तारनहारे नू,
मेरी वंदना वंदना…..
एह वंदना बंधन तोड़दी ए,
दर मुक्ती वाला खोलदी ए,
चरणा विच्च शीश झुकाके,
ध्यावा में सिरजन हारे नू,
मेरी वंदना वंदना……
चरण गंगा विच्च गौते लावा मैं,
श्रद्धा नाल शीश झुकावा मैं,
धो धो के पाप भ्रम दे, लाह सुट्टा में चीकड़ सारे नू,
मेरी वंदना वंदना….
एह सुत्ते भाग जगाऊंगी ए,
भुलियां नू रस्ते पाऊदी ए,
जीवन दी ज्योति जगाके,दिंदी है स्वर्ग हुलारे नू,
मेरी वंदना वंदना….
वंदना गुरू प्यारे नू वंदना,
जीवन उजियारे नू वंदना,
मैं तन मन चरणा तो वारा,
वारा मैं जीवन सारे नू,
मेरी वंदना वंदना वंदना,
मेरी वंदना सतगुरू प्यारे नू।।
भाव से वंदना करने की विधि
- समय: सुबह का शांत समय या गुरुवार का दिन विशेष शुभ माना जाता है।
- स्थान: अपने घर के पूजा स्थल पर गुरु की तस्वीर या प्रतीक स्थापित करें।
- दीपक जलाएँ: शुद्ध घी या सरसों के तेल का दीप जलाकर गुरु का स्मरण करें।
- वंदना करें: मन में कहें — “हे सतगुरू प्यारे, आप ही मेरे जीवन के दीपक हैं।”
- भजन या मंत्र: “मेरी वंदना सतगुरू प्यारे नू” भाव से कोई गुरु भजन या मंत्र गाएँ।
- समापन: अंत में गुरु के चरणों में प्रणाम कर कृतज्ञता व्यक्त करें और उनके उपदेशों का पालन करने का संकल्प लें।
सतगुरु की वंदना के फल
- मन में स्थिरता, शांति और श्रद्धा का भाव आता है।
- गुरु कृपा से ज्ञान और आत्मबल की वृद्धि होती है।
- जीवन की कठिनाइयाँ सहज रूप से दूर होने लगती हैं।
- भक्ति और सेवा भाव में निरंतरता आती है।
- गुरु के मार्गदर्शन से जीवन का उद्देश्य स्पष्ट होता है।
निष्कर्ष
“मेरी वंदना सतगुरू प्यारे नू” केवल एक प्रणाम नहीं, बल्कि आत्मा की कृतज्ञता है। जब हम सच्चे मन से अपने गुरु को वंदना करते हैं, तब जीवन में प्रकाश और शांति का संचार होता है। गुरु हमारे जीवन के सच्चे पथप्रदर्शक हैं — वे हमें सही दिशा दिखाते हैं और हर अंधकार से मुक्त करते हैं। जब मन में यह भाव स्थायी हो जाता है, तब हर दिन एक नई भक्ति का उत्सव बन जाता है।

