ओ शिव भोले मेरे | महादेव को समर्पित प्रेम और विश्वास की पवित्र पुकार
“ओ शिव भोले मेरे” एक सीधी, सच्ची और हृदय से निकली पुकार है, जिसमें भक्त का संपूर्ण विश्वास महादेव के चरणों में समर्पित होता है। यह पंक्ति तब जन्म लेती है जब मन थक जाता है, परिस्थिति भारी हो जाती है, और कोई सच्चा सहारा चाहिए होता है। शिव—जो भोले हैं, दयालु हैं, सहज हैं—हमेशा अपने भक्तों की पुकार सुनते हैं। यह आह्वान न केवल भक्ति का भाव है, बल्कि जीवन की राह में शिव से मार्गदर्शन, शक्ति और शांति की विनती भी है। इस पवित्र पुकार के साथ मन धीरे-धीरे शांत होने लगता है।

ओ शिव भोले मेरे, मेरा मन डोले, जागो समाधी गोरा बोले…..
बैठे ओ बाबा मेरे, अखियाँ मुंध के
केह केह के हारी गोरा बोले ना सुन के,
सुनलो बिनंती मेरी, चरणों में बोल के,
जागो समाधी…..
शीश पे गंगे गले पे भुजंगे, डम डम डमरू बोले,
भूत प्रेत संगे औघड़ दानी मेरे लगे भस्म अंगे,
जागो समाधी…..
गोठी बाबा भांग तिहारे पीवे नित भंगे,
भूत नाचे प्रेत नाचे गण नित संगे,
ओ मेरे दयालु भोले सुन मेरे शंकरे,
जागो समाधी…..
जन्म जन्म तेरी दासी बनु मैं,
हर पल तेरे चरण पड़ु मैं,
धरम कहे समाधी खोले शिव बोले,
जागो समाधी…..
सरल और प्रभावी स्मरण
- समय: सोमवार, महाशिवरात्रि, या दिन का कोई भी शांत समय।
- स्थान: शिवलिंग, शिव चित्र या दीपक के सामने बैठें।
- आरंभ: आँखें बंद करें और तीन बार गहरी साँस लेकर मन शांत करें।
- जप:
धीमे स्वर में बोलें—
“ओ शिव भोले मेरे…”
चाहें तो इसके साथ “ॐ नमः शिवाय” भी जप सकते हैं। - भाव:
महादेव को ध्यान में लाएँ—जटाधारी, शांत, प्रेमपूर्ण स्वरूप। - समापन:
उनसे शक्ति, सुरक्षा और सही दिशा में चलने का आशीर्वाद माँगें।
इस पुकार के आध्यात्मिक लाभ
- मन तुरंत हल्का और शांत होता है।
- कठिन परिस्थितियों से निपटने का साहस मिलता है।
- नकारात्मक विचार कम होते हैं और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
- शिव भक्ति से जीवन में संतुलन और स्थिरता आती है।
- दिल को भरोसा मिलता है कि महादेव आपके साथ हैं।
निष्कर्ष
“ओ शिव भोले मेरे” एक ऐसा भाव है जिसे हर भक्त अपने जीवन में कभी न कभी महसूस करता है। यह पुकार बताती है कि महादेव से हमारा संबंध बहुत सरल और बहुत गहरा है। जब मन थक जाता है, तब शिव का नाम ही हमें शक्ति देता है और नई उम्मीद जगाता है। सच में, जहाँ भोलेनाथ का स्मरण होता है, वहाँ डर और अंधेरा टिक नहीं सकता। शिव की कृपा से जीवन शांत, संतुलित और प्रकाशमय बन जाता है।

